छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का बड़ा फैसला : नाजायज संतान को भी अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार

बिलासपुर, 03 अक्टूबर (वेदांत समाचार) । छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय के अग्रवाल ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता मृतक सरकारी कर्मचारी का नाजायज पुत्र हो, वह अनुकंपा के आधार पर विचार के लिए हकदार होगा। इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि वह मृतक सरकारी कर्मचारी का नाजायज पुत्र है। कोर्ट ने एसईसीएल प्रबंधन को नोटिस जारी कर कहा है कि आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से 45 दिनों के भीतर आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति देने की प्रक्रिया पूरी करे।

एसईसीएल द्वारा 21 अप्रैल 2015 को जारी आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता विक्रांत कुमार लाल ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता की मां विमला कुर्रे ने अपने बेटे याचिकाकर्ता के लिए आश्रित रोजगार की मांग करते याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद एसईसीएल प्रबंधन को याचिकाकर्ताओं से आवेदन लेने के निर्देश दिए थे। अभ्यावेदन का निराकरण करते हुए एसईसीएल प्रबंधन ने याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन को खारिज कर दिया था।

क्या है मामला

मुनिराम कुर्रे की मृत्यु 25 मार्च 2004 को हो गई थी। वह एसईसीएल में आर्म गार्ड के पद पर कार्यरत थे। मुनिराम कुर्रे की मृत्यु के समय ग्रेच्युटी नामांकन फार्म ‘एफ’ में सुशीला कुर्रे का नाम दर्ज था और पेंशन नामांकन फार्म में विमला कुर्रे का नाम। विमला कुर्रे के साथ उनकी चार बेटियां मनीषा लाल, मंजूसा लाल, ममिता लाल, मिलिंद लाल और बेटा विक्रांत भी थे।

पहले आपत्ति, फिर हुआ समझौता, तब कोर्ट का आया फैसला

याचिकाकर्ता ने भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 की धारा 372 के तहत उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए आवेदन पेश किया था। मामले की सुनवाई कोरबा के प्रथम सिविल जज वर्ग एक के कोर्ट में हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने भविष्य निधि 4 लाख 75 हजार और ग्रेच्युटी राशि 95 हजार रुपये याचिकाकर्ता, उसकी मां और बहनों के पक्ष में प्रदान करने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद सुशीला कुर्रे ने अधिनियम 1925 की धारा 383 के तहत उत्तराधिकार प्रमाणपत्र को रद करने के लिए आवेदन दायर कर दिया। मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के बीच आपसी समझौता हो गया और सुशीला ने आवेदन वापस ले लिया। समझौते के बाद कोर्ट ने 6 मार्च 2006 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता, उसकी मां विमला कुर्रे और बहनों को मुनिराम कुर्रे (मृतक) का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। आदेश में कहा गया है कि विमला कुर्रे, मुनिराम कुर्रे की पत्नी है और सेवानिवृत्ति लाभों के उद्देश्य से याचिकाकर्ता मुनिराम कुर्रे का पुत्र है। कोर्ट ने यह भी कहा कि उपलब्ध दस्तावेजों से यह तय हो गया है कि याचिकाकर्ता विक्रांत, मुनिराम कुर्रे का विमला कुर्रे के साथ विवाह से उत्पन्न पुत्र है।’