मंदिरों में घी का महत्वपूर्ण स्थान, शुद्धता सुनिश्चित होनी चाहिये : जैन संवेदना ट्रस्ट

नवरात्र में देशभर की करोड़ों अखण्ड ज्योत में शुध्द घी का उपयोग सुनिश्चित करे सरकार

रायपुर 30 सितंबर (वेदांत समाचार)। भगवान तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम में गाय व अन्य जानवरों की चर्बी और मछली के तेल जैसे अभक्ष्य पदार्थों के इस्तेमाल की रिपोर्ट आने के बाद से शुद्ध घी की सत्यता संदिग्ध हो गई है। जैन संवेदना ट्रस्ट के महेन्द्र कोचर व विजय चोपड़ा ने कहा कि विश्वभर के मंदिरों में घी का महत्वपूर्ण स्थान है । सभी धर्मों के मंदिरों में भगवान के भोग प्रसाद से लेकर अखण्ड ज्योत , हवन , पूजन प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान में शुध्द घी का महत्वपूर्ण स्थान है।

कोचर व चोपड़ा ने आगे कहा कि सवाल केवल तिरुपति मंदिर के प्रसाद का नही है, विश्वभर के मंदिरों में प्रसाद बनाए व भगवान को भोग लगाए या चढ़ाए जाते हैं। अखण्ड ज्योत, आरती, हवन पूजन इत्यादि में घी का उपयोग होता ही है। जैन संवेदना ट्रस्ट के महेन्द्र कोचर व विजय चोपड़ा ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि आगामी 3 अक्टूबर से देशभर में नवरात्रि पर्व आरम्भ होने जा रहे हैं जिसमें करोड़ों ज्योत प्रज्वलित की जावेगी अतः शीध्र ही शुद्ध घी बनाने वाली फैक्ट्रियों में कड़ी जांच कर यह सुनिश्चित किया जावे की घी में अभक्ष्य पदार्थों की मिलावट न हो और सनातन संस्कृति की आस्था पर कोई चोट न कर सके । उन्होंने आगे बढ़कर कहा कि केवल भगवान व मंदिरों में प्रसाद व ज्योत की बात नही है यह सम्पूर्ण शाकाहारी समाज के लिए चिंता व परेशानी की बात है कि भोजन में शुद्ध घी का उपयोग कैसे करे।

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