हाईकोर्ट ने रक्षा मंत्रालय की सहमति को बरकरार रखा
बिलासपुर, 28 सितम्बर (वेदांत समाचार)। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की खंडपीठ ने बिलासपुर एयरपोर्ट के विस्तार को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए जमीन की उपलब्धता पर चली आ रही अनिश्चितता को खत्म कर दिया है। कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि एक बार रक्षा मंत्रालय द्वारा एयरपोर्ट विस्तार के लिए सेना की जमीन पर दी गई सहमति को रद्द नहीं किया जा सकता। इस मुद्दे की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
जमीन विवाद पर स्पष्टता
यह मामला लंबे समय से अटका हुआ था क्योंकि एयरपोर्ट विस्तार के लिए सेना के कब्जे वाली जमीन की आवश्यकता थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने कोर्ट में उन आदेशों का हवाला दिया, जिनमें रक्षा मंत्रालय ने पहले ही इस जमीन को एयरपोर्ट विस्तार के लिए उपलब्ध कराने की सहमति दी थी। रनवे विस्तार के लिए 287 एकड़ जमीन की आवश्यकता है, और इस प्रोजेक्ट में देरी के कारण पिछले 12 सालों से 1012 एकड़ जमीन खाली पड़ी है। कोर्ट ने इस स्थिति पर नाराजगी जताई और केंद्र व राज्य सरकार को आपसी विवादों को जल्द सुलझाने के निर्देश दिए।
रनवे विस्तार से बड़े विमानों का संचालन संभव
इस विस्तार से रनवे की लंबाई वर्तमान 1500 मीटर से बढ़ाकर 2885 मीटर की जाएगी, जिससे बड़े विमान जैसे बोइंग और एयरबस भी बिलासपुर एयरपोर्ट पर उतर सकेंगे। रनवे के विस्तार के बाद एयरपोर्ट को 4 सी आईएफआर (इंस्ट्रूमेंट फ्लाइट रूल्स) का दर्जा मिलेगा, जिससे यहां नाइट लैंडिंग और बड़े विमानों की आवाजाही सुगम हो जाएगी। यह विस्तार बिलासपुर एयरपोर्ट के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और इसके सफल क्रियान्वयन से क्षेत्र में हवाई यातायात और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
कोर्ट का निर्देश और नाइट लैंडिंग सुविधाओं की समीक्षा
हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया है कि एयरपोर्ट विस्तार के लिए अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी अगली सुनवाई से पहले प्रस्तुत करें। इसके साथ ही, कोर्ट ने एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग सुविधाओं की समीक्षा भी की। याचिकाकर्ताओं और राज्य सरकार ने नाइट लैंडिंग के लिए आवश्यक डीवीओआर (डॉप्लर वेरी हाई फ्रीक्वेंसी ओमनी रेंज) मशीन की स्थापना में हो रही देरी पर आपत्ति जताई। इस मशीन के बिना रात में विमानों की सुरक्षित लैंडिंग संभव नहीं है।
कोर्ट ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) को निर्देश दिया कि डीवीओआर मशीन की वर्तमान स्थिति से अवगत कराएं और प्राथमिकता के आधार पर इसे बिलासपुर एयरपोर्ट पर लगाने की संभावनाएं तलाशें। एएआई को मशीन के आयात और स्थापना के लिए त्वरित कदम उठाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
इस फैसले से बिलासपुर एयरपोर्ट के विस्तार की राह में सबसे बड़ा अवरोध खत्म हो गया है। कोर्ट के निर्देशों के बाद अब जमीन से जुड़ी अनिश्चितता समाप्त हो गई है और रनवे विस्तार की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की उम्मीद है। इस विस्तार से बिलासपुर और आसपास के क्षेत्रों में हवाई संपर्क बेहतर होगा और क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
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