Raj Kapoor death anniversary: राजकपूर और नरगिस का यह वाक्या शायद ही कोई जानता हो?

Raj Kapoor death anniversary: गुजरे जमाने की बॉलीवुड अदाकारा नरगिस का नाम हिन्दी सिनेमा की बेहतरीन अभिनेत्रियों में शुमार हैं। आज भी उन्हें उनकी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। हिन्दी फिल्मों में उनकी अदाकारा को आज भी दर्शकों द्वारा पसंद किया जाता है। क्लासिक फिल्म “मदर इंडिया” में उनके द्वारा किया गया अभिनय वाकई में तारीफे काबिल था। आज भी जब उस फिल्म को याद किया जाता है तो सबसे पहले नरगिस के अभिनय की तारीफों के पूल बांध दिए जाते हैं। इस फिल्म में हिन्दी सिनेमा के प्रारंभिक दौर की महिला सशक्तिकरण एवं विधवा महिला के संघर्ष को बहुत ही वास्तविक ढंग से बताया गया है। यहां पर हम अभिनेत्री नरगिस की इसलिए चर्चा कर रहे हैं क्योंकि अभिनेता राज कपूर के साथ नरगिस का वाक्या बहुत ही दिलचस्प और पसंदीदा था। चलिए जानते हैं विस्तार से..

बता दें कि नरगिस ने राजकपूर के साथ 16 फिल्मों में काम किया है, जिसमें से अधिकतर सफल हुईं। इन्ही फिल्मों के साथ दोनों में नज़दीकियां भी बढ़ने लगी थी, वह एक दूसरे के बारे में सोचने लगे थे और आखिरकार दोनो को एक-दूसरे से प्यार भी हो गया था। इतना ही नहीं दोनो ने शादी करने का मन भी बना लिया था। राजकपूर और नरगिस दोनो ही हर जगह साथ-साथ दिखाई देने लगे।

पैसे की कमी होने पर नरगिस ने की थी राज कपूर की मदद

राजकपूर और नरगिस की जब बात की जाती है तो उनकी “बरसात” फिल्म को सबसे पहले याद किया जाता है। लेखिका मधुजैन की फैमस बुक ‘द कपूर्स’ के अनुसार जब बरसात फिल्म बन रही थी, तब नरगिस पूरी तरह से राजकपूर के लिए समर्पित हो चुकी थीं, खुद से पहले उनके बारे में सोचने लगी थीं। इतना ही नहीं जब स्टूडियो में पैसे की कमी आने लगी तो नगिस ने अपने सोने की चुड़ियों तक को बेच दिया। और दूसरे निर्माताओं की फिल्मों में काम करके आर.के फिल्म्स की आर्थिक स्थिति को सुधारने का काम करने लग गई।

ऐसे हुए दोनों अलग

राजकपूर और नरगिस का जब दौर चल रहा था तो उन्हे देखकर ऐसा ही लगता था कि अब दोनो एक दूसरे के बिन रह नहीं पाएंगे। सभी दर्शकों ने उनके शादी के बारे में सोच लिया था। लेकिन कब क्या हो जाए किसी को पता नहीं चलता कुछ ऐसा ही नरगिस और राजकपूर के साथ हुआ। 1954 में जब राजकपूर माॅस्को गए तो उनके साथ नरगिस भी गईं। और यही वह समय था जब दोनो के रिश्ते में दरार पड़ना शुरू हुई थी।

दोनो के बीच इगो की तकरार इतनी ज्यादा बढ़ गई की नरगिस माॅस्को की यात्रा अधूरी छोड़कर वापस इंडिया लौट आईं। इसके बाद 1956 में नरगिस और राजकपूर की आखिर फिल्म ‘चोरी चोरी’ आई जो उनके रिश्ते की आखिरी फिल्म साबित हुई। हालांकि बाद में राज कपूर की फिल्म ‘जागते रहो’ में भी नरगिस ने एक अतिथि कलाकार की भूमिका के तौर पर काम किया था। यहीं से दोनो अपने-अपने रास्ते पर चलने लगे और दोनो के रास्ते अलग हो गए।

नरगिस ने इसलिए की सुनील दत्त से शादी

ऐसा भी कहा जाता है कि 1948 में जब राजकपूर ने निर्देशन में डेब्यू किया और फिल्म ‘आग’ बनाई तब उनकी मुलाकात नरगिस से हुई थी। और उन्होने तय किया था कि इस फिल्म में हीरोइन नरगिस ही होंगी। इस दौरान दोनो के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं। राज कपूर के शादीशुदा होने के बावजूद नरगिस के साथ उनका रिश्ता दिन पर दिन बढ़ने लगा था। अब नरगिस चाहती थीं कि उन दोनो की शादी हो जाए। लेकिन कुछ समय बाद नरगिस को यह एहसास हुआ कि राजकपूर अपनी पत्नी कृष्णा को कभी भी नहीं छोड़ेगें और बाद में दोनो अलग हो गए। नरगिस ने सुनील दत्त के साथ आइकोनिक फिल्म ‘मदर इंडिया’ में काम किया। दोनो में दोस्ती हुई और नजदीकियां बढ़ने लगी फिर क्या था 1958 में नरगिस और सुनील दत्त ने शादी रचा ली।

अपनी नीली आंखो में तैरते कई सपनों को फिल्मों के माध्यम से पेश करने वाले राज कपूर उस दौर में भी सामाजिक विषमताओं को मनोरंजन के ताने-बाने के साथ पर्दे पर उकेरने की हिम्मत रखते थे। राज कपूर ने कई सामाजिक संदेशो के साथ मनोरंजक फिल्में बनाई। आज भी कपूर की ये फिल्में मानव जगत को एक नई सीख देती हैं।