भ्रष्टाचार का अभेद गढ़ मरवाही वनमंडल, राजनेताओं व अधिकारियों के संरक्षरण में चल रहा भ्रष्टाचार का खेल

युसुफ खांन

मरवाही 2 जून (वेदांत समाचार) मरवाही वनमंडल भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है जहाँ बिना किसी जिम्मेदार अधिकारियों के खुलेआम भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है . चूंकि मरवाही वन मंडल में एक ऐसे अधिकारी है जो पूरे वनमंडल को चारागाह समझ बैठे है और चारागाह की तरह वनमंडल को चरकर खोखला करते जा रहे है . हम बात कर रहे है वर्तमान एसडीओ वन पेण्ड्रा कि जो पिछले 8 सालों तक मरवाही में ही रेंजरी किये और रेंजरी का मोह इनसे नही छूट रहा है चूंकि जो चांदी इन्हें रेंजरी में मिल रही थी वह एसडीओ बनने के बाद से खत्म होने लगी थी इसलिए तो एक ऐसे डिप्टी रेंजर को मरवाही वनपरिक्षेत्र में प्रभारी रेंजर बनाकर बैठा दिया गया है जो इनके हाथों की कठपुतली बन कर रह गए है .

उल्लेखनीय है कि मरवाही वनमंडल के मरवाही रेंज में इस समय करोडो के निर्माण कार्य चालू है मगर इन करोडो के कार्यो की देखरेख करने वाला कोई नही है इसलिए तो नियम कायदों को ताक में रखते हुए खुलेआम भ्रष्टाचार का खेल अपने चरम पर चल रहा है ।


आपको बता दे कि एसडीओ वन पेण्ड्रा बीमार होंने के कारण (कोरोना पॉजिटिव) फरवरी 2021 के आख़री सप्ताह से मार्च 2021 तक रायपुर में रहकर अपने स्वयं का इलाज करा रहे थे इस दौरान भी इनके दौरा मरवाही के अधिनस्त कर्मचारियों को मोबाईल फोन से कार्यो एवं बाउचर बनाने के निर्देश दिए जाते रहे है तथा रायपुर से ही मरवाही रेंज को संचालित करने का कार्य किया जाता रहा है.

इसकी पुष्टि इनके मोबाईल के लोकेशन ट्रेस करके किया जाएगा तो एक बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा होगा . वही पिछले माह 19 अप्रैल को मरवाही रेंजर दरोगा सिंह मरावी की कोविड रिजल्ट्स पॉजिटिव पाई गई जिसके बाद उन्हें 26 अप्रैल को कोविड केयर हॉस्पिटल (टीकर) ले जाया गया जहाँ उनका इलाज चल रहा था इसके बाद इन्हें कोविड केयर सेंटर से महादेव हॉस्पिटल बिलासपुर रिफर कराया गया . इसके बाद मरवाही रेंजर एक माह तक हॉस्पिटल में अपना इलाज कराते रहे और 22 मई को उनको डिस्चार्ज किया गया . वर्तमान समय मे श्री मरावी अपने गृहग्राम दर्री (हर्रि गौरेला के पास) बेड रेस्ट ले रहे है ऐसे में प्रश्न उठता है कि श्री मरावी अवकाश में है या ड्यूटी में है ।

इस दौरान भी भारी मात्रा में फाल्स बाउचर तैयार कर वनमंडल से चेक जारी कराने की कोशिश की जा रही है .इन बाउचरो में श्री मरावी( प्रभारी रेंजर) के हस्ताक्षर है या नही जबकि मिली जानकारी अनुसार इनका फर्जी हस्ताक्षर करवाकर बाउचर तैयार करवाये जा रहे है . चूंकि मार्च 2021 के महीने में एसडीओ पेण्ड्रा एवं अप्रैल मई 2021 में प्रभारी रेंजर मरवाही कोरोना पॉजिटिव रहे इसलिए अप्रैल 2021 से जून 2021 तक के समस्त बिल बाउचरो के परिक्षेत्र अधिकारी के हस्ताक्षर नमूने की जांच राइटिंग एक्सपर्ट से कराये जाने एवं भुगतान कि कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाकर गंभीरता से इसकी जांच कराए जाने पर एक बड़े भ्रष्टाचार का पोल खुलेगी ।

महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जबतक यह रेंजर अपना इलाज करा रहे थे तब तक न तो किसी अन्य अधिकारी को चार्ज दिया गया न ही कोई जिम्मेदार अधिकारी मरवाही रेंज में था . रेंजर की अनुपस्थिति में एसडीओ पेन्ड्रा वन अधिकारी द्वारा लोकल ठेकेदारो से मिलीभगत कर करोडो के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया और सभी जगह गुणवत्ताहीन , घटिया , एवं स्तरहीन कार्य कराया गया जो अब भी निरंतर जारी है इसके बाद भी वन अमले में बैठें उच्चाधिकारियों के कान में जु तक नही रेंगती . ऐसा नही है इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को नही है वही आम जनमानस में यह चर्चाओं का विषय है कि एसडीओ वन अधिकारी पेण्ड्रा द्वारा यह कहा भी जाता है !

कि वन मंत्री से मेरी अच्छी खासी सेटिंग है और 3 माह के बाद वर्तमान डीएफओ सेवानिवृत्त होने वाले है इसके बाद मैं ही डीएफओ बनकर आऊंगा इसके लिए उनके द्वारा वनमंत्री को करोडो रुपये का ऑफर देकर मरवाही वनमंडल में पोस्टिंग कराये जाने की बात चर्चाओं का विषय है . अगर इनकी बात में सत्यता है तो यह कहना अतिश्योक्ति नही होगी कि वनमंत्री से लेकर वन अमले में बैठे सारे आला अधिकारी इस एसडीओ वन पेन्ड्रा के हाथों की कठपुतली बन चुके है और पैसे के आगे नतमस्तक हो चुके है .

जबकि वर्तमान मे एसडीओ पेन्ड्रा के भ्रष्टाचार के किस्से जगजाहिर है लगातार इनपर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगते रहे है मगर सारे आरोपो के बाद जिस अधिकारी की संपत्ति से लेकर इनके कार्यकाल की जाँच कराई जानी चाहिए थी उस अधिकारी को इसी वनमंडल में (मरवाही) में पदासीन किया जा रहा है इससे यह साफ परिलक्षित होता है कि शासन और प्रशासन इनके रसूख से आगे घुटने टेक चुका है . कभी मरवाही वनमंडल जो एशिया महाद्वीप का ग्रीन बेल्ट हुआ करता था और भालुओ का गढ़ माना जाता था वह आज वीरान और भालुओ की प्रजाति तक विलुप्त होने की कगार पर पहुँच चुका है वर्तमान में ही हो रहे करोडो के तालाब निर्माण स्टॉप डेमल मिट्टी बांन्ध की अगर बात की जाए जहाँ बिना किसी रेंजर के खुलेआम फर्जी प्रमाणको के जरिये खेल खेला जा रहा है ।

जबकि रेंजर न होने की स्थिति में बेक डेट पर बिल बाउचर बनाकर करोडो का वारा न्यारा किया जा रहा है जबकि उक्त कार्यो की जांच कराया जाना बेहद जरूरी है .
केम्पा मत जो शासन की बेहद महत्ती योजना है वह भी इन वन अधिकारी और उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता हुआ दिखाई देता है जबकि उक्त मामले में केम्पा योजना पीसीसीएफ अधिकारी श्री निवाशन राव , एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रशासन राकेश चतुर्वेदी को इसकी सूचना समय समय पर दी जाती रही है मगर उनके द्वारा भी उक्त मामले कि किसी भी प्रकार की गंभीरता न दिखाना उच्चाधिकारियों की मौन सहमति को दर्शाता है।

जबकि उक्त गंभीर मामलों के उच्च जांच स्तरीय टीम गठित की जानी चाहिए और मामले की सूक्ष्मता से जांच कराई जानी चाहिए . साथ ही विपक्ष दल के नेताओ के द्वारा मरवाही कांड को बिंदुवार मानसून विधानसभा सत्र में उठाएं जाने की बात भी जोरो पर है।

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