इंदौर में हिट एंड रन का मामला सामने आया है, जिसमें दो युवतियों की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक शहर के महालक्ष्मी मैदान के पास स्कूटर सवार दो लड़कियों को रांग साइड से आ रही तेज रफ्तार बीएमडब्ल्यू कार ने टक्कर मार दी। टक्कर के बाद उन्हें लोग अस्पताल ले गए, जहां इलाज के दौरान इनकी मौत हो गई। घटना के बाद चालक ने भागने के चक्कर में बीएमडब्ल्यू खंभे में ठोक दी। इसके बाद वो कार को वहीं छोड़कर भाग गया। हादसे में मृत युवतियों के नाम दीक्षा पिता अशोक जादौन और लक्ष्मी पिता नाथू सिंह हैं।
मेला देखकर लौट रहीं थी
ये दोनों स्कूटर से मेला देखकर अपने घर जा रही थीं। तभी रांग साइड में तेज रफ्तार में आई एक बीएमडब्ल्यू कार ने उन्हें टक्कर मार दी। टक्कर के बाद वो स्कूटर सहित दूर गिरीं। आस-पास के लोगों ने पुलिस और एंबुलेंस को इसकी सूचना दी। जिसके बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया।
सूचना मिलने के बाद परिजन भी अस्पताल पहुंच गए थे। तेज रफ्तार कार की टक्कर से गंभीर चोट लगने पर दोनों बुरी तरह से घायल हो गईं थी। उन्हें बचाया नहीं जा सका
ग्वालियर की दीक्षा, इंदौर में रहकर कर रही थी नौकरी
दीक्षा जादौन ग्वालियर की रहने वाली है और इंदौर में बैंक ऑफ बड़ौदा में काम करती थी। 15 दिन पहले ही दीक्षा ने नौकरी छोड़ी थी। उनके पिता अशोक जादौन पीएचई विभाग में काम करते हैं। दीक्षा के दो छोटे भाई भी हैं, जो कॉलेज में पढ़ रहे हैं। घटना की सूचना मिलने के बाद परिवार इंदौर रवाना हो गया है।
शिवपुरी की है लक्ष्मी, पिता के निधन के बाद पाल रही थी परिवार
हिट एंड रन में जान गंवाने वाली लक्ष्मी पिता नाथूसिंह शिवपुरी की रहने वाली थी। उनके पिता का पिछले वर्ष बीमारी के कारण निधन हो गया था। इंदौर में नौकरी करके वह परिवार का पालन पोषण कर रही थी। हादसे की सूचना के बाद पूरा परिवार इंदौर के लिए रवाना हो गया है।
कार चंड़ीगढ़ आरटीओ से रजिस्टर्ड है, इसका नंबर सीएच 01 एयू 1061 है। पुलिस ने कार मालिक और चालक के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।
दोनों के घर छा गया मातम
जानकारी के मुताबिक दोनों परिजनों को मेला देखने का बताकर गईं थीं। मेले में घूमने के बाद वो अपनी स्कूटर से वापस घर के लिए रवाना हो रहीं थी। इसी दौरान तेज रफ्तार से आ रही बीएमडब्ल्यू ने उनकी स्कूटर को जोर से टक्कर मार दी। तेज आवाज सुनकर आस-पास के लोग वहां दौड़े और उन्हें उठाया। हादसे के बाद से दोनों के घर में मातम छा गया है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्हें क्या पता था कि मेला देखने गईं उनकी बेटियां अब कभी वापस नहीं लौटेंगी।
[metaslider id="347522"]