बस्तर की प्राणदायिनी को भेंट की गई सोने की नाव और चांदी की पतवार

बस्तर ब्लॉक के घाटकवाली गांव के ग्रामीणों द्वारा इंद्रावती नदी में सोने की नाव और चांदी की पतवार भेंट करने एकत्र ग्रामीण।

ग्रामदेवी से मांगी गई नवाखानी तिहार मनाने की अनुमति


जगदलपुर, 10 सितंबर (वेदांत सामाचार)। 10 सितंबर बस्तरवासी इंद्रावती को अपनी प्राणदायिनी मानते हैं और बड़ी आस्था के साथ समय-समय पर स्वेच्छा से भेंट अर्पित करते हैं। इस क्रम में मंगलवार दोपहर इंद्रावती नदी के किनारे बसे ग्राम घाट कवाली के ग्रामीणों ने अपनी प्राणदायिनी को सोने की नाव और चांदी की पतवार भेंट की साथ ही ग्रामदेवी जननी माता से बुधवार को नवाखानी तिहार मनाने की अनुमति मांगी गई।


जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर ग्राम घाट कवाली इंद्रावती नदी के किनारे बसा पुराना गांव है। यह नदी ही यहां के किसानों और ग्रामीणों का जीवन आधार है। नदी के प्रति अपना कर्तव्य तथा आभार व्यक्त करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष भाद्र मास शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन नदी किनारे घाट कवाली के सैंकड़ों ग्रामीण जुटते हैं और अपनी प्राणदायिनी को सोने की नाव और चांदी की पतवार भेंट करते हैं।


ग्राम देवी जननी माता के छत्र की सेवा अर्जी ग्राम पुजारी मंगलू कश्यप ने की। पुजारी के साथ ग्रामीण नदी किनारे पहुंचे और पूजा विधान के बाद सोने की नाव, चांदी की पतवार, सफेद बकरा, 60 दिनों में पककर तैयार होने वाला साटका धान की बालियां, उल्टा पंख वाला मुर्गा, लांदा इत्यादि इंद्रावती को भेंट कर गांव में नवाखानी तिहार मनाने के अनुमति इंद्रावती और ग्रामदेवी जलनी माता से मांगी गई। घाट कवाली के पूर्व सरपंच सुकरू राम कश्यप ने बताया कि जब से घाट कवाली गांव नदी किनारे बसा है। तब से यह रस्म लगभग 700 वर्षों से निरंतर जारी है। इंद्रावती घाट यात्रा के दौरान गांव के वरिष्ठ नागरिक श्याम सुंदर, रामनाथ कश्यप, जुगल कश्यप, सीताराम, लखेश्वर इत्यादि मौजूद रहे। इस मौके पर पारंपरिक रिवाज के अनुसार करंजी, भाटपाल, चोकर, कुड़कानार गांव के ग्रामीणों को भी आमंत्रित किया था।
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