सरकार ओबीसी के बारे में व्यक्तिगत जानकारी जुटाने के लिए सर्वे कर रही है। इसमें परिवार के सदस्यों के नाम, जाति, उप जाति, आयु, मातृभाषा, मतदाता सूची क्रमांक, वैवाहिक स्थिति, शादी के समय आयु जैसी व्यक्तिगत जानकारी के साथ ही शैक्षणिक हालत भी पूछा जाएगा।
सर्वे में परिवार के सदस्यों से उनके कामकाजी होने, संगठित-असंगठित क्षेत्र में काम करने, मासिक वेतन, परंपरागत व्यवसाय और इससे होने वाली वार्षिक आय के बारे में जानकारी ली जाएगी। यह भी पूछा जाएगा कि वे आयकर दाता हैं या नहीं। सर्वे से सरकार यह जानकारी भी जुटाना चाहती है कि ओबीसी में कितने जनप्रतिनिधि या राजनीतिक दलों में पदाधिकारी हैं। निगम, बोर्ड, सहकारी समिति व गैर सहकारी संगठनों के सदस्य हैं। आरक्षण से मिले शैक्षिक व नौकरी में लाभ के साथ जाति प्रमाण पत्र बना है।
ओबीसी परिवारों पर कर्ज, पैतृक व निजी खेती, सिंचाई के स्रोत, फसलें, बाड़ी, मकान, आवासीय प्लाट के बारे में पता किया जाएगा। एलपीजी कनेक्शन हैं या नहीं, राशन कार्ड, पेंशन, आवास, पेयजल स्रोत के साथ ही शौचालय है या नहीं, इसे लेकर भी सवाल पूछे जाएंगे।सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को ओबीसी का सर्वे करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया है। तय समय तक सर्वे होने के बाद सरकार आरक्षण का निर्णय लेती है और जल्द ही नोटिफिकेशन जारी हो जाता है तो दिसंबर में ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव हो सकेंगे।
केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू करने के लिए सर्व राज्य सरकारें काम कर रही हैं। इन योजनाओं में आदिम जनजातीय समूह विकास योजना, अनुसूचित जनजाति प्रशिक्षण योजना, और हस्त सफाई-कर्मियों के पुनर्वास के लिए स्वरोजगार योजना शामिल हैं।सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजधानी सहित अन्य शहरों के नगरीय निकाय चुनाव में बड़ा पेंच आ गया है। अन्य पिछड़ा वर्ग के डेटा बिना यहां चुनाव के लिए आरक्षण नहीं किया जा सकता।
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