शीतल देवी के जज्बे को सलाम, सिर्फ 1 प्वॉइंट के चलते टूट गया पैरालंपिक में मेडल जीतने का सपना

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत अभी तक 5 मेडल जीत चुका है, इसमें एक गोल्ड मेडल भी शामिल है. खेलों के तीसरे दिन शूटर रुबीना फ्रांसिस ने 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 इवेंट के फाइनल में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. लेकिन अब भारत को एक बड़ा झटका भी लगा है. आर्चर शीतल देवी एक करीबी मुकाबले में हारकर पेरिस पैरालंपिक 2024 से बाहर हो गई हैं. प्री क्वार्टर फाइनल में उनका सामना चिली की मारियाना जुनिगा से हुआ. इस मुकाबले में शीतल देवी को सिर्फ 1 प्वॉइंट से हार का सामना करना पड़ा.

1 प्वॉइंट से शीतल देवी का टूटा सपना

टोक्यो पैरालंपिक की सिल्वर मेडल विजेता मारियाना ने इस करीबी मुकाबले में शीतल देवी को 138-137 से हराया. दोनों खिलाड़ियों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली. शुरुआती तीन राउंड के बाद दोनों ही खिलाड़ी बराबरी पर थीं. लेकिन चौथे राउंड में विजेता मारियाना ने 1 प्वॉइंट की बढ़त हासिल की. उन्होंने ये बढ़त पांचवें राउंड में भी बरकरार रखी, जिसके चलते शीतल देवी ने इस मुकाबले को 1 प्वॉइंट से गंवा दिया.

डेब्यू मैच में रच दिया था इतिहास

महज 17 साल की आर्चर शीतल देवी ने पैरालंपिक के डेब्यू मैच में इतिहास रचा था. दुनिया की पहली आर्मलेस यानि बिना हाथों वाली आर्चर शीतल देवी ने आर्चरी के रैंकिंग राउंड के दौरान 703 प्वॉइंट हासिल किए थे और वर्ल्ड रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया था. शीतल ने 720 में से 703 अंक हासिल किए थे. इसके साथ ही वो 700 अंक पाने वाली भारत की पहली महिला आर्चर बन गई हैं. हालांकि, कुछ देर बाद ही तुर्किए की ओजनूर गिर्डी क्यूर ने 704 अंक के साथ शीतल के इस रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया.

शीतल देवी जम्मू कश्मीर की एक छोटे गांव किश्तवाड़ की रहने वाली हैं. 7 साल की शीतल के जन्म से ही दो हाथ नहीं हैं. वह फोकोमेलिया नाम की बीमारी से जन्मजात पीड़ित हैं. लेकिन उन्होंने अपने जीवन में कभी भी हार नहीं मानी. शीतल देवी कुर्सी पर बैठी हैं, अपने दाहिने पैर से धनुष उठाती हैं, फिर दाहिने कंधे से डोरी खींचती हैं और अपने जबड़े की ताकत से तीर छोड़ती हैं. उनकी इस कला को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. शीतल देवी बिना हाथों के प्रतिस्पर्धा करने वाली दुनिया की पहली और एकमात्र सक्रिय महिला तीरंदाज भी हैं.

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