क्या है समय की सबसे छोटी इकाई का नाम? जिसका इस्तेमाल कर 21 वर्ष के कैवल्य वोहरा बन गए 3600 करोड़ के मालिक

नई दिल्ली। भारतीय स्टार्टअप जगत में एक नाम इन दिनों सुर्खियों में छाया हुआ है। यह नाम है कैवल्य वोहरा का। महज 21 वर्ष की उम्र में हुरुन के अरबपतियों की सूची में उनका नाम शामिल किया गया है। वे एक ऑनलाइन किराना डिलिवरी प्लेटफॉर्म सह-संस्थापक है। इस प्लेटफॉर्म ने भारत में लोगों के ऑनलाइन किराने का सामान खरीदने के तरीके को बदल दिया है। कैवल्य वोहरा ने यह कारनामा समय की सबसे छोटी इकाई के नाम का इस्तेमाल कर किया। वह क्या है? कैवल्य वोहरा का कच्ची उम्र में ही अरबपति बनने का सफर कैसे शुरू हुआ? आइए सवाल-जवाब से समझें उनकी पूरी कहानी।

कहां से शुरू हुआ कैवल्य वोहरा के अरबपति बनने का सफर?
कैवल्य वोहरा का जन्म 15 मार्च, 2003 को कर्नाटक के बेंगलुरु में हुआ था। शिपिंग व्यवसाय से जुड़े परिवार में पले-बढ़े कैवल्य बचपन से ही एक मजबूत कारोबारी मानसिकता वाले लोगों के बीच पले। उद्यमिता के इस शुरुआती अनुभव ने उन्हें अपना खुद का कुछ शुरू करने में दिलचस्पी जगाई। अपने व्यावसायिक हितों को समझने के अलावा, वोहरा में अलग-अलग भाषाएं सीखने की भी प्रतिभा थी। वे हिंदी, अंग्रेजी और फ्रेंच में धाराप्रवाह थे। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बेंगलुरु में हुई।

वोहरा ने क्यों छोड़ दी स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की पढ़ाई?
बेंगलूरू से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद वोहरा स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय पहुंचे वहां उन्होंने कंप्यूटर विज्ञान का अध्ययन शुरू किया। स्टैनफोर्ड कई सफल तकनीकी उद्यमियों को जन्म देने के लिए जाना जाता है। कुछ ही समय में वोहरा को अपनी खुद की कंपनी शुरू करने की प्रेरणा मिली। हालांकि तकनीक जगत के अन्य दिग्गजों की जगह वोहरा ने स्टैनफोर्ड छोड़ने और अपने व्यवसाय के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने का साहसिक निर्णय लिया।

कैसे हुई जेप्टो की शुरुआत?
वोहरा ने स्टार्टअप की दुनिया में पहला कदम किरानाकार्ट की शुरुआत कर रखा। यह एक ऑनलाइन किराना डिलीवरी सेवा थी जो 45 मिनट के भीतर ग्राहकों तक सामान पहुंचाती थी। यह विचार ग्राहकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हुआ। इससे पता चला देश में तेज डिलिवरी से जुड़ी सेवाओं की मांग ज्यादा है। इस क्षेत्र में और भी अधिक संभावनाएं देखते हुए, वोहरा ने किरानाकार्ट का नाम बदलकर जेप्टो कर दिया। यह अल्ट्रा-फास्ट डिलीवरी पर केंद्रित एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है।

समय की सबसे छोटी इकाई से क्या है जेप्टो का कनेक्शन?
जेप्टो की शुरुआत कैवल्य वोहरा ने अपने मित्र और बिजनेस पार्टनर, आदित पालीचा के साथ मिलकर किया। इसकी शुरुआत कोविड महामारी के दौरान की गई जब एक समय पर लोगों को अपनी रोजमर्रा की आवश्यक चीजों की त्वरित और सुरक्षित डिलीवरी की आवश्यकता थी। “जेप्टो” नाम “जेप्टोसेकंड” से आया है, यह समय की सबसे छोटी इकाई है, जो कंपनी के कुछ ही मिनटों में किराने का सामान पहुंचाने के कंपनी के वादे का प्रतीक है। गति और सुविधा पर इस फोकस ने जेप्टो के ग्राहकों को प्रभावित किया और जेप्टो जल्दी ही लोकप्रिय हो गया।

10 प्रमुख शहरों तक कैसे फैला जेप्टो का कारोबार?
आज, जेप्टो बेंगलुरु में स्थित है और भारत भर के 10 प्रमुख शहरों में काम करता है। कंपनी में 1,000 से ज़्यादा लोग काम करते हैं और यह ताज़े फलों और सब्जियों से लेकर रोजमर्रा की जरूरतों और स्वास्थ्य संबंधी वस्तुओं तक कई तरह के उत्पाद पेश करती है। जेप्टो की तेज वृद्धि प्रभावशाली रही है और अब कंपनी का मूल्य 1.4 बिलियन डॉलर हो गया है। यह सफलता वोहरा के वजिन और भारत में तेज, विश्वसनीय डिलीवरी सेवाओं की बढ़ती मांग को दर्शाती है।

हुरुन की सूची के अनुसार वोहरा की संपत्ति कितनी?
महज 21 साल की उम्र में, क्विक कॉमर्स ऐप जेप्टो के सह-संस्थापक कैवल्य वोहरा 3,600 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति के साथ 2024 के आईआईएफएल वेल्थ-हुरुन इंडियन रिच लिस्ट में शामिल होने वाले सबसे युवा कारोबारी हैं। वोहरा को सिर्फ उनकी उम्र या धन-संपत्ति ही सबसे अलग नहीं बनाती, बल्कि बाजार में जरूरत को पहचानने और उस पर तुरंत काम करने की उनकी क्षमता भी उन्हें दूसरों से अलग बनाती है। जेप्टो जिस क्विक कॉमर्स मॉडल पर ध्यान केंद्रित करता है, वह भारत में अभी भी अपेक्षाकृत नया है, लेकिन यह तेजी से बढ़ रहा है।