मां बनना किसी भी महिला के जीवन में सबसे सुखद अहसास होता है. वह न सिर्फ एक नई जान को जन्म देती है, बल्कि उसके लिए भी यह नए जन्म जैसा वक्त होता है. डिलीवरी के बाद महिलाओं को खुद का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है, क्योंकि बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवाना, उसका ध्यान रखना जैसी जिम्मदारियां भी होती हैं, ऐसे में नई मां को अपनी डाइट का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए. डिलीवरी के वक्त और इसके बाद एक महिला के शरीर से काफी खून निकल जाता है और इस वजह से उनका शरीर काफी कमजोर हो जाता है. ऐसे में अगर मां अपनी सेहत का ध्यान न रखे तो इसका असर बच्चे की सेहत पर भी दिखाई देता है.
नई मां बनी हैं तो खुद की सेहत का ख्याल रखेंगी तभी नवजात का भी ख्याल सही से रख पाएंगी. सही खानपान होने से मां तो हेल्दी रहती ही है, वहीं मां के दूध के जरिए बच्चे को भी उचित मात्रा में पोषक तत्व मिल पाते हैं, क्योंकि नवजात शिशु के लिए मां का दूध ही उसका संपूर्ण आहार होता है. तो चलिए आयुर्वेद एक्सपर्ट से जान लेते हैं कि डिलीवरी के बाद एक महिला की डाइट क्या होनी चाहिए.
नई मां का खुश रहना है सबसे जरूरी
आयुर्वेद और नेचरोपैथी विशेषज्ञ डॉक्टर किरण गुप्ता कहती हैं कि सबसे पहली चीज है कि महिलाएं खुद को खुश रखें और डिलीवरी के बाद अपने बच्चे के साथ के शुरुआत फेज को एंजॉय करें. इसके अलावा पानी पीने का ध्यान रखें. उबला हुआ स्वच्छ पानी पीना चाहिए. नई माएं कम पानी पीने की गलती न करें इसके साथ ही खाना ऐसा खाएं जो सुपाच्य हो.
हर्ब्स को करें डाइट में शामिल
डॉ किरण गुप्ता कहती हैं कि मां बच्चे को दूध पिलाती है तो ये मतलब नहीं है कि रोटी पर ज्यादा फोकस करना है और रोटी ज्यादा खानी है, बल्कि देसी हर्ब्स को डाइट में जगह दें, जैसे अजवाइन, जीरा, सौंफ मुलेठी, शताबरी. ये हर्ब्स ओवरी, यूट्रस के साथ ही पूरे डाइजेस्टिव सिस्टम की सफाई करने का काम करती हैं और ओवरी, यूट्रेस को स्ट्रेंथ भी देती हैं. सीधे शब्दों में कहें तो हर्ब्स या देसी जड़ी-बूटियां मां को नया जीवन देने का काम करती हैं.
पौष्टिक खाना मां के साथ बच्चे के लिए भी जरूरी
डॉ किरण गुप्ता आगे कहती हैं कि मां अपने बच्चे को नौ महीने न्यूट्रिशन देती है और डिलीवरी के दौरान और उसके बाद भी काफी ब्लड लॉस होता है, इसलिए मां के शरीर को ताकत की जरूरत होती है और बच्चे की देखभाल करने के साथ ही ब्रेस्टफीडिंग भी करवानी होती है. मां को पौष्टिक भोजन करना चाहिए, जैसे एक समय दलिया खाया जा सकता है और अगर डाइजेशन सही हो तो दिन में दो से तीन बार दूध पीना चाहिए, लेकिन चीनी न मिलाएं. इसकी जगह केसर, हल्दी या काली मिर्च डालकर दूध में पीना फायदेमंद रहता है.
ड्राई फ्रूट्स देंगे नई मां के शरीर को ताकत
एक्सपर्ट ने बताया कि डिलीवरी के बाद नई मां को रोजाना ड्राई फ्रूट्स जैसे मुनक्का बादाम, आदि भिगोकर देने चाहिए. डिलीवरी के बाद कम से कम सवा महीने तक डाइट का ज्यादा ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि बच्चे का डाइजेशन भी इतना मजबूत नहीं होता है, इसलिए मां जितनी अच्छी चीजें खाएंगी, बच्चे की सेहत के लिए भी उतना ही ज्यादा फायदा होगा.
मां और बच्चे की सेहत का कनेक्शन
आयुर्वेद एक्सपर्ट कहती हैं कि चने की दाल, उड़द की दाल, चना, राजमा बेसन की कड़ी, जैसी चीजें गैस, अपच कर सकती हैं, क्योंकि इस दौरान मां का डाइजेशन भी कमजोर होता है और इन चीजों को पचाना मुश्किल होता है, जिससे अपच, गैस, उल्टी, दस्ती की समस्या हो सकती है और जब मां बच्चे को दूध पिलाती है तो उसे भी ये दिक्कतें होने की संभावना रहती है. यही वजह है कि मां को सौंफ, जीरा, अजवाइन जैसी हर्ब्स लेनी चाहिए, जीरा खाने से कैल्शियम भी मिलता है. इसके अलावा शताबरी मां के दूध के प्रोडक्शन में मदद करती है.
हरी सब्जियां भरपूर मात्रा में खिलाएं
नई मां को गाजर, पालक धनिया और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियां एक कटोरी शाम को और एक कटोरी सुबह खानी चाहिए. हर्ब्स के साथ घी जरूर खाना चाहिए. महिलाएं कई बार सोचती हैं कि अगर वह घी खाएंगी तो पोस्ट प्रेग्नेंसी के बाद वेट और बढ़ जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल जड़ी-बूटियों के साथ अगर आप तेल का इस्तेमाल करते हैं तो ये नुकसान करता है, लेकिन जितना गाय का प्योर देसी इन हर्ब्स से बनी चीजों में पड़ेगा उतना ही फायदा मिलता है, हां लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि जैसे पहले के वक्त में बादाम, मखाने जैसी चीजें देसी घी में फ्राई करके दी जाती थीं, ये गलती नहीं करनी चाहिए, इससे लिवर और यूट्रस पर फैट बढ़ सकता है जिससे न सिर्फ वजन बढ़ जाएगा बल्कि काफी ज्यादा परेशानी हो सकती है. डिलीवरी के बाद कुल मिलाकर नई मां की डाइट में हर्ब्स, सब्जियों, फलों का सही कॉम्बिनेशन जरूरी होता है.
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