कोरबा,26 अगस्त (वेदांत समाचार)। कटघोरा क्षेत्र का पतरापाली गांव अवैध महुआ शराब बनाने और बेचने के लिए चर्चित है। लेकिन पुलिस व आबकारी विभाग के लिए गांव में कार्रवाई करना मुश्किल था। क्योंकि टीमों के पहुंचते ही ग्रामीण एकजूट होकर विरोध में उतर जाते थे। जिससे टीम को बैरंग लौटना पड़ता था। अवैध शराब के खिलाफ जारी अभियान के तहत आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त सौरभ बक्शी ने मातहत अधिकारियों को पतरापाली गांव में प्रभावी कार्रवाई का निर्देश दिया था। ऐसे में अधिकारियों के सामने चुनौती थी। इसके लिए सहायक जिला आबकारी अधिकारी रमेश अग्रवाल के नेतृत्व में उपनिरीक्षक क्रमश: आशीष उप्पल, मुकेश पाण्डेय, दीपमाला नागदेव, नारायण सिंह कंवर, जया मेहर, विजीता भगत की संयुक्त टीम बनाई गई। जिसमें प्रमुख रूप से मुख्य आरक्षक अजय तिवारी, राजीव जायसवाल, संजय गुप्ता, आरक्षक दशराम सिदार, शिवकुमार वैष्णव, सिमोन मिंज, हेमप्रकाश डनसेनाव शरीफ खान को शामिल किया गया। टीम ने पहले गांव में छद्मक्रेता भेजकर अवैध शराब बेचने वाले 8 लोगों की पहचान की। फिर शुक्रवार को वहां छापा मारा गया। जहां सुनीता पति पत्थर सिंह, सुमित्रा पति जगन्नाथ, मोहितराम पिता जगसाय, चंद्रिका पिता मोतीलाल, चरणकुंवर पति अमरिका, सुशीला पति अशोक, सुशीला पति कन्हैया, प्रताप पिता जगन्नाथ को पकड़ा गया। उनके पास से कुल 161.3 लीटर शराब और 1हजार किलो महुआ लाहन बरामद किया गया। आरोपियो के खिलाफ आबकारी एक्ट के तहत प्रकरण बनाया गया। मामले में गिरफ्तार करके उन्हें न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जहां से न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया।
इस तरह टीम घुसी गांव में, विरोध का मौका नहीं
आबकारी विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक सामान्य दिनों में पतरापाली गांव में कार्रवाई करना आसान नहीं था। इसलिए पहले वहां अवैध शराब बनाने व बिक्री की तस्दीक की गई। इसके बाद गुरुवार को मोबाइल पर वेदर सर्च किया गया। जिसमें कटघोरा क्षेत्र में शुक्रवार की सुबह भारी बारिश दिखाया गया। जिसके आधार पर जिलेभर की आबकारी विभाग की टीम को शुक्रवार की तड़के 5 बजे एक साथ बुलाया गया। बल के साथ अधिकारियों की टीम सुबह 6 बजे गांव में घुस गई। भारी बारिश व सुबह का समय होने के कारण ज्यादातर लोग या तो उठे नहीं थे या फिर घरों से बाहर नहीं निकले थे। टीम ने कुछ ही देर में तस्दीक किए गए लोगों के घरों से महुआ शराब व लाहन जब्त कर लिया। बाद में लोग निकले तब तक कार्रवाई हो चुकी थी और पर्याप्त बल होने से उन्हें विरोध का मौका ही नहीं मिला।
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