कोरबा I छत्तीसगढ़ पावर जनरेशन कंपनी के हसदेव थर्मल पावर प्रोजेक्ट (एचटीपीपी) 500 मेगावाट विस्तार परियोजना में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) सिस्टम की स्थापना 250 करोड़ रुपये से की जा रही है। इससे विद्युत संयंत्र में कोयला जलने पर निकलने वाली हानिकारक सल्फर आक्साइड को कैल्शियम पावडर से मिश्रित कर जिप्सम का निर्माण किया जाएगा।
कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में निकलने वाली खतरनाक सल्फरआक्साइड गैस काे एफजीडी सिस्टम लगाए जाने से चिमनी से निकलने से पहले ही अलग कर लिया जाएगा। यह ईएसपी के जैसे ही होता है, लेकिन सल्फर आक्साइड को सोख लेता है। एचटीपीपी के मुख्य अभियंता व कार्यपालक निदेशक का प्रभार देख रहे सीएल नेताम का कहना है कि बिजली उत्पादन के साथ हम क्षेत्र के पर्यावरण के प्रति भी काम कर रहे हैं। सल्फर आक्साइड के वातावारण में घुलने से इसका दुष्प्रभाव मानव स्वास्थ्य व वनस्पति व किसी भी जीव पर पड़ सकता है। इसके नियंत्रण के लिए एफजीडी सिस्टम बेहद कारगार है। इसका उपयोग पहले भी देश के बिजली संयंत्रों पर होता रहा है पर एचटीपीपी में अत्याधुनिक सिस्टम लगाया जा रहा, इसके माध्यम से प्रदूषण तो रूकेगा ही साथ ही जिप्सम का भी निर्माण किया जा सकेगा। 2025 तक एफजीडी स्थापना का कार्य पूर्ण कर लिए जाने की संभावना है। वर्ष 2026 के पहले तिमाही में जिप्सम का व्यवसायिक स्तर पर उत्पादन किए जाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।
जिप्सम से बनता है फाल सीलिंग, सीमेंट के लिए भी उपयोगी
बिजली संयंत्रों से निकलने वाला राख पाइप लाइन के माध्यम से डैम तक पहुंचता है, यहां राख के ऊपरी सतह के झागयुक्त पानी को छान कर सेनोस्फीयर निकाला जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी अच्छी खासी मांग है। राखड़ का उपयोग सड़क, ईंट व सीमेंट निर्माण में किया जाता है। काेयला जलने से तैयार होने वाले उप उत्पादों में अब जिप्सम भी जुड़ जाएगा। जिप्सम का उपयोग भवनों में फाल सीलिंग में किया जाता है। सीमेंट निर्माण के लिए भी यह उपयोगी होता है। विद्युत कंपनी ने इसके लिए मार्केटिंग की भी योजना बनाई है।
प्रदूषण रोकेगा साथ ही कोयले की खपत होगी कम
एचटीपीपी एफजीडी की इकाई सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित है। इससे प्रदूषण पर नियंत्रण के साथ बिजली उत्पादन में कोयले की खपत में भी कमी आएगी।
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