वक्फ कानून में बदलाव के लिए लोकसभा में पेश किया गया विधेयक

0. सरकार ने जांच के लिए जेपीसी के पास भेजा

नई दिल्ली,9 अगस्त 2024। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया। विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक में मौजूद प्रावधानों का विरोध करने के बाद इसे जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया। इसके अलावा संसदीय कार्य मंत्री ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024 को भी सदन में पेश किया। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब से वर्ष 1995 के वक्फ अधिनियम को लागू किया गया है, तब से मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 के निरसन की आवश्यकता पड़ी।

केंद्रीय गृह मंत्री ने विपक्ष पर साधा निशाना
अमित शाह ने विपक्ष पर मुसलमानों को भ्रमित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मौजूदा विधेयक में संशोधन की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि इसमें बहुत सारी गलतियां हैं। वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ अधिनियम 1995 का नाम बदलना भी है। बताया गया है कि वक्फ अधिनियम 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 रखा जाएगा। सदन में इस विधेयक को पेश करने से पहले, मंगलवार की रात इसे सभी लोकसभा सांसदों के साथ साझा किया गया।

विपक्ष ने कहा- यह संविधान पर हमला है
जैसे ही संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में जैसे ही विधेयक पेश किया तो विपक्ष के सासंदों ने हंगामा खड़ा करना शुरू कर दिया। विपक्ष ने एक सुर में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह संविधान पर हमला है। इसके जवाब में रिजिजू ने कहा कि वक्फ विधेयक में किसी भी धार्मिक समुदाय की आजादी में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मसौदा कानून में कानून के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया गया है।

जदयू-तेदेपा का सरकार को समर्थन
उधर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगी दलों जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) और तेलगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के संचालन में पारदर्शिता लाना है। लोकसभा में सरकार द्वारा विधेयक पेश करने के बाद जदयू नेता राजीव रंजन सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि यह विधेयक मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा, ‘सदन में कई सदस्यों ने वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि यह मुस्लिम विरोधी है। विपक्ष ने इस दौरान राम मंदिर का उदाहरण दिया। क्या आप मंदिर और संस्थान के बीच का फर्क नहीं जानते? यह किसी मस्जिद में हस्तक्षेप से जुड़ा मामला नहीं है। यह कानून एक संस्थान में पारदर्शिता के लिए लाया जा रहा है।’

इस बीच, तेदेपा सांसद हरीश बालयोगी ने कहा कि अगर सरकार इस विधेयक को संसदीय समिति के पास भेजती है, तो हमारी पार्टी को कोई समस्या नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘मैं सरकार की उस चिंता का समर्थन करता हूं, जिस वजह से इस विधेयक को पेश किया गया है। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि प्रणाली की कार्यशैली में पारदर्शिता लाई जाए। हम इस विधेयक का समर्थन करते हैं।’