वाल्मिकी द्वारा लिखित रामायण में भगवान राम के स्वर्ण युग का उल्लेख है। लेकिन सूरत के एक राम भक्त जिन्होंने रामायण ग्रंथ में भगवान राम के सुनहरे जीवन को सोने की स्याही से लिखा है, इस दुर्लभ स्वर्ण रामायण में 222 तोले सोने के साथ हीरे और माणिक भी जड़े हुए हैं। यह दुनिया की एकमात्र पुस्तक होगी जो पूरी तरह से सोने की स्याही से लिखी गई है।
भगवान राम के जीवनकाल में तैयार की गई इस रामायण का एक-एक शब्द सोने की स्याही से लिखा गया है। इस अभूतपूर्व सुवर्ण रामायण को आज रामनवमी के अवसर पर भक्तों के दर्शन के लिए सार्वजनिक किया गया था। 530 पेज लंबी और 222 तोले सोने से बनी इस रामायण का मुख्य पृष्ठ चांदी से बना है। और इस पर 20 तोले की राम मूर्ति के साथ 10 किलो चांदी, चार हजार हीरे, माणिक और पन्ना का इस्तेमाल किया गया है। सूरत के भेस्तान इलाके में रामकुंज में रहने वाले दंपति राजेश कुमार भक्त और इंदिराबेन भक्त, वर्तमान में इस स्वर्ण रामायण को संरक्षित कर रहे हैं। उनका कहना है कि रामायण की रचना उनके दादा ने की थी।
राजेशभाई के दादा स्वर्गवासी रामभाई गोकलभाई राम के भक्त थे, इसलिए उन्होंने इस रामायण की रचना वर्ष 1981 में की थी। कहा जाता है कि इस पुस्तक को वर्ष 1981 में पुष्य नक्षत्र के दिन 40 लोगों ने नौ घंटे में तैयार किया था। हीरे और अन्य कीमती पत्थरों से जड़ी स्वर्ण रामायण को साल में केवल एक बार जनता के सामने लाया जाता है। रामनवमी के अवसर के बाद इसे वापस बैंक में रख दिया जाता है। 222 तोला सोना और 19 किलो वजन की यह रामायण तैयार करने के लिए इसके कागज जर्मनी से विशेष तौर पर मंगवाए गए है। यह कागज इतना सफेद होता है कि हाथ से छूने पर भी इस पर कोई दाग नहीं लगता। पन्नों के बीच रखे बटर पेपर पर 5 करोड़ बार राम का नाम लिखा हुआ है। लेकिन इस दुर्लभ रामायण को देखने के लिए भक्तों को पूरे एक साल तक इंतजार करना पड़ता है।
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