माता-पिता और शिक्षक, मिलकर बनाएं बच्चों का भविष्य – डॉक्टर संजय गुप्ता

⭕ पीटीएम वह दर्पण होता है जिस पर हम विद्यार्थी के अक्स को साफ-साफ झांक पाते हैं- डॉक्टर संजय गुप्ता।

पीटीएम स्टूडेंट्स के एजुकेशनल एक्सपीरियंस को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे माता-पिता और शिक्षकों को जानकारी का आदान-प्रदान करने, चिंताओं को साझा करने और बच्चे के विकास का समर्थन करने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करते हैं।


पीटीएम अभिभावकों और शिक्षकों के बीच खुले और पारदर्शी संचार के लिए अनुकूल वातावरण बनाते हैं। प्रत्येक छात्र की अनूठी ज़रूरतों और शक्तियों को समझने के लिए यह संवाद ज़रूरी है। शिक्षा में भागीदारी: पीटीएम में भाग लेकर, माता-पिता अपने बच्चे की शिक्षा में सक्रिय भागीदार बन जाते हैं।
स्कूल में पीटीएम मीटिंग विद्यार्थियों को उनके शैक्षणिक प्रदर्शन को बढ़ाने और उनकी प्रतिभा को व्यापक बनाने में सहायता करती है। उन्हें यह आभास होता है कि उनके शिक्षक और माता-पिता उन्हें ध्यान से देख रहे हैं और चाहते हैं कि वे शैक्षणिक रूप से और पाठ्येतर गतिविधियों में सफल हों।

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्राचार्य एवं शिक्षाविद डॉक्टर संजय गुप्ता ने शिक्षक अभिभावक सम्मेलन के महत्व पर अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि यदि हम प्रत्येक असेसमेंट के पश्चात
पीटीएम में आकर शिक्षकों से सतत संवाद स्थापित करते हैं तो बेशक हमें अपने बच्चों के स्तर के बारे में पता चलता है। हम उसकी प्रगति का आकलन सतत रूप से करते जाते हैं। शिक्षक भी यदि विद्यार्थी के संबंध में माता-पिता से बात करना चाहते हैं तो उनके समक्ष पारदर्शी संबंध स्थापित होती है। सतत पेटीएम अटेंड करने से शिक्षक , विद्यालय एवं अभिभावकों के मध्य एक प्रकार का प्रगाढ़ संबंध स्थापित होता है। किसी के मन में किसी भी प्रकार की कोई दुविधा की संभावना ही नहीं रहती। यदि किसी विषय में विद्यार्थी को समस्या है तो हम उस विषय शिक्षक से जाकर बात कर विद्यार्थी की समस्या का तुरंत निराकरण पाते हैं। पीटीएम का सबसे बड़ा फायदा यह भी होता है कि शिक्षक, विद्यालय और अभिभावकों के मध्य एक विश्वसनीयता कायम हो जाती है।
विद्यार्थी के शैक्षणिक एवं मानसिक विकास हेतु विद्यालय, शिक्षक एवं अभिभावकों की थ्री आयामी प्रक्रिया अत्यंत आवश्यक होती है। सरल शब्दों में कहें तो शिक्षक ,अभिभावक सम्मेलन से विद्यार्थियों का हित ही होता है। हम विद्यार्थी की कमी और खूबी से भली-भांति परिचित हो जाते हैं। और सरल शब्दों में कहें तो पीटीएम वह दर्पण होता है जिस पर हम विद्यार्थी के अक्स को साफ-साफ झांक पाते हैं।
स्कूल में हर महीने पैरेंट्स टीचर मीटिंग यानी पीटीएम होती है। पैरेंट्स के लिए बेहद जरूरी है इसे अटेंड करना ताकि आपको अपने बच्चे की प्रॉग्रेस के बारे में पता चल सके। आप स्कूल जाकर टीचर से सवाल कर सकते हैं।ऐसा करने से वे अपने बच्चे की ओवरऑल प्रोग्रेस रिपोर्ट से वाकिफ हो सकेंगे।
पीटीएम का यह उद्देश्य कतई नहीं होता कि अभिभावक और शिक्षक आपस में भिड़ जाएं। बल्कि शिक्षक तो समाज या राष्ट्र का वह शख्स होता है जो विद्यार्थी को सही दिशा पर ले जाकर उसका भविष्य बनाता है। अतः कभी भी पीटीएम में किसी शिक्षक से उलझना नहीं चाहिए ।किसी शिक्षक से, या विद्यालय से कोई व्यक्तिगत समस्या है तो शांतिपूर्वक उसका हल पाने का प्रयास करना चाहिए। शिक्षक अभिभावक सम्मेलन में विद्यालय शिक्षक और अभिभावक तीनों का आपसी सामंजस्य व सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण कारक होता है।
छात्रों का प्रदर्शन माता-पिता और शिक्षकों के संयुक्त प्रयास पर निर्भर करता है ।लगातार संवाद से बच्चे के व्यक्तिगत विकास और समग्र कल्याण में भी मदद मिलती है। इसलिए, अभिभावक-शिक्षक बैठकें आवश्यक हैं और यह उन कई कारकों में से एक है जो बच्चे के स्वतंत्र रूप से बढ़ने और विकसित होने के लिए एक मजबूत आधार तैयार करते हैं।
कभी भी विद्यालय में पीटीएम आयोजित होता है तो हमें यह प्रयास अवश्य करना चाहिए कि अपने लिए ना सही ,विद्यार्थियों के भविष्य के लिए, विद्यालय आना आवश्यक हैं। यह उनकी प्रगति से, उनके व्यवहार से, उनके क्रियाकलाप से परिचित होने हेतु आवश्यक है। एक जिम्मेदार अभिभावक होने के नाते यह हमारा नैतिक एवं अनिवार्य कर्तव्य है कि हम शिक्षक अभिभावक सम्मेलन का हिस्सा बनें।कभी भी पीटीएम अटेंड करने से ना चुके। यह आपके बच्चे के भविष्य के लिए संजीवनी साबित होता है।

अभिभावक-शिक्षक बैठकें (PTM) कई कारणों से स्कूल के माहौल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं:

संचार और प्रतिक्रिया: PTM माता-पिता और शिक्षकों के बीच सीधे संचार की सुविधा प्रदान करते हैं। यह आदान-प्रदान बच्चे की प्रगति, ताकत और सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्रों को समझने में मदद करता है। यह माता-पिता को अपने बच्चे की सीखने की शैली और उनकी किसी भी चिंता के बारे में जानकारी देने की भी अनुमति देता है।


संबंध बनाना: PTM माता-पिता और शिक्षकों के बीच सहयोगात्मक संबंध को बढ़ावा देते हैं। यह साझेदारी बच्चे के शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास का समर्थन करने के लिए आवश्यक है। जब माता-पिता और शिक्षक एक साथ काम करते हैं, तो यह एक सहायक नेटवर्क बनाता है जो छात्र को लाभान्वित करता है।
समग्र विकास: PTM के माध्यम से, शिक्षक न केवल शैक्षणिक प्रदर्शन बल्कि बच्चे के सामाजिक, भावनात्मक और व्यवहारिक विकास पर भी चर्चा कर सकते हैं। यह समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि बच्चे की समग्र भलाई पर विचार किया जाए और उसका समर्थन किया जाए।
चुनौतियों की पहचान जल्दी करना: नियमित PTM से बच्चे को शुरू में ही किसी भी चुनौती या समस्या का सामना करने में मदद मिलती है। यह शुरुआती हस्तक्षेप समस्याओं को बढ़ने से रोक सकता है और शिक्षकों और अभिभावकों को समाधान पर मिलकर काम करने की अनुमति देता है।
लक्ष्य निर्धारित करना: PTM बच्चे के लिए यथार्थवादी शैक्षणिक और व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करने का अवसर प्रदान करते हैं। जब माता-पिता और शिक्षक अपनी अपेक्षाओं और रणनीतियों को संरेखित करते हैं, तो यह बच्चे के विकास के लिए एक सहायक वातावरण बनाता है।
माता-पिता की भागीदारी: शोध से पता चलता है कि माता-पिता की भागीदारी बच्चों के लिए बेहतर शैक्षणिक परिणामों से जुड़ी है। PTM माता-पिता को अपने बच्चे की शिक्षा में सक्रिय रुचि लेने और घर पर सहायता प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।