स्वर्ण बिन्दु प्राशन संस्कार से ढाई साल से न चल पाने वाली बच्ची तीन माह में ही लगी दौड़ने

कोरबा, 03 अगस्त । “चलो आयुर्वेद की ओर” मिशन के तहत बच्चों को विलक्षण प्रतिभाशाली बनाने एवं बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बच्चे रहें स्वस्थ योजनान्तर्गत लायंस क्लब कोरबा एवरेस्ट एवं श्री शिव औषधालय के संयुक्त तत्वाधान में नाड़ीवैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा द्वारा श्री शिव औषधालय एम.आई.जी 20, आर.पी.नगर फेस 2 निहारिका में दिनांक 3 अगस्त 2024 शनिवार को सोमवार को अति शुभ पुष्य नक्षत्र में आयुर्वेदिक इम्यूनाईजेसन प्रोग्राम के तहत आयुर्वेदिक टीकाकरण के माध्यम से स्वर्ण बिन्दु प्राशन संस्कार कराया गया। जिसमे अंचल के सैकड़ों बच्चे लाभान्वित होकर इसके अप्रत्याशित चमत्कारिक परिणाम का लाभ ले रहे हैं।

इसी कड़ी में स्वर्ण प्राशन करा रही ढाई वर्षीय बालिका देव्यांशी राठौर की माता सुनीता राठौर ने बताया की मेरी पुत्री ढाई वर्ष की हो गई है। पर वो चल नहीं पाती थी। हांथ पकड़कर चलाने से भी एक जगह खड़ी हो जाती थी पर चलती नहीं थी। अब तीन महीने से स्वर्ण प्राशन संस्कार करा रही हूँ। जिसके कराने के बाद मेरी बिटिया न सिर्फ चलने लगी है बल्कि दौड़ने भी लगी है। इसके लिए उन्होंने श्री शिव औषधालय संस्थान की संचालिका श्रीमती प्रतिभा शर्मा एवं संस्थान के चिकित्सक नाड़ीवैद्य डॉ.नागेन्द्र नारायण शर्मा का आभार प्रकट करते हुए उन्हें साधुवाद दिया।साथ ही उन्होंने कहा की सभी लोगों को अपने बच्चों को स्वर्ण बिंदु प्राशन संस्कार अवश्य कराना चाहिये। संस्थान के चिकित्सक नाड़ीवैद्य डॉ.नागेन्द्र नारायण शर्मा ने बताया कि स्वर्ण बिन्दु प्राशन संस्कार बच्चों में किये जाने वाले 16 मुख्य संस्कारों में से स्वास्थ्य की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण संस्कार है जो हजारो वर्ष पुरानी आयुर्वेदिक टीकाकरण पद्धति है। जिसका उल्लेख हमारे आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथ काश्यप संहिता एवं सुश्रुत संहिता में प्रमुखता से है जो प्राचीन समय से चला आ रहा है। लेकिन अब यह संस्कार विलुप्त हो गया है जिसे पुनर्जीवित करने का प्रयास संस्थान द्वारा स्वर्ण बिन्दु प्राशन संस्कार के माध्यम से किया जा रहा है ।

जिससे स्वस्थ निरोगी समाज का निर्माण हो सके। स्वर्ण बिन्दु प्राशन संस्कार शिविर में नाड़ीवैद्य डॉ.नागेन्द्र नारायण शर्मा, श्री शिव औषधालय की संचालिका श्रीमती प्रतिभा शर्मा के अलावा चक्रपाणि पांडेय, नेत्रनन्दन साहू, कमल धारिया, अश्वनी बुनकर, सिद्धराम सारथी, राकेश इस्पात एवं संध्या बरला ने विशेष रूप से उपस्थित होकर अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]