डॉ. किरणमयी नायक ने “प्रार्थना भवन” जल संसाधन विभाग में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर की सुनवाई

बिलासपुर,2 अगस्त 2024। Chhattisgarh new : छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज “प्रार्थना भवन” जल संसाधन विभाग बिलासपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 263वीं व जिला स्तर पर 16वीं सुनवाई हुई। बिलासपुर में आयोजित जनसुनवाई में आज कुल 37 प्रकरणों पर सुनवाई की गई।

आज के सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका सहायक मि‌ट्टी परीक्षण अधिकारी के पद पर मंडी परिषद तोरवा में कार्यरत है, उन्होने अनावेदक क्र.01 को दैनिक मजूदरी में रखा था. किन्तु उसके द्वारा कार्य में अनियमितता एवं लापरवाही के कारण कार्य से हटा दिया गया था। इसके बाद से अनावेदक क्रमांक 02 जो कि मजदूर यूनियन के अध्यक्ष है वे अनावेदक क्रमांक 01 के साथ मिलकर आवेदिका को भ्रष्टाचारी बताने लगे और उसके शिकायत विभागीय तौर पर भी किया जिस जांच में आवेदिका निर्दोष पाया गया, इसके बावजूद दोनो आवेदिका व्यक्ति रंजीश के तहत् लगातार आवेदिका को परेशान कर रहे है।

आयोग के द्वारा समझाईश देने पर दोनो आवेदकगणों ने भविष्य में आवेदिका को परेशान न करने की बात स्वीकारी है यदि दोबारा आवेदिका को व्यक्तिगत रूप से परेशान किया जाता है, तब आवेदिका द्वारा इस आर्डरशीट के माध्यम से दोनो आवेदकगणों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही किया जा सकेगा। आज आयोग के सुनवाई में आवेदिका ने अपने मोबाईल पर एक अश्लील मैसेज आने की जानकारी दिया और दिखाया। आवेदिका इस आर्डरशीट की कॉपी के आधार पर मोबाईल नम्बर के खिलाफ साईबर क्राईम में तत्काल शिकायत दर्ज कराये। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में उभयपक्षों के मध्य पिछली सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों में पांच लाख तीन किश्तों में दिये जाने के एवज में आपसी सहमति से तलाक लिये जाने के लिए सुलह हुई थी। आज अनावेदक के द्वारा एक्सीस बैंक मंगला चौक ब्रांच से 02 लाख रुपए का डीडी आवेदिका के नाम पर बनावाया गया है। जो आज आवेदिका को आयोग के समक्ष प्रदान किया गया। डीडी की फोटो प्रति रिकार्ड में रखी गई शेष 03 लाख रुपए की राशि दो किश्तो में आवेदिका को दिया जाएगा। दोनो किश्तों की अदायेगी महिला आयोग रायपुर में आवेदिका को प्रदान किया जाएगा। जिसकी तिथि दोनो पक्षों की सहमति पर तय किया जाएगा। इसके लिए आयोग की अधिवक्ता भारद्वाज को मध्यस्थ नियुक्त किया जाता है। आयोग के समक्ष अनावेदक ने प्रस्ताव रखा कि आपसी राजीनामा तलाक का आवेदन बिलासपुर कुटुम्ब न्यायालय में लगाया जाएगा, जिस पर आवेदिका ने अपनी सहमति व्यक्त किया, न्यायालय में तलाक की प्रक्रिया शुरू होने पर एक किश्त 1.50 लाख रुपए की अनावेदक के द्वारा आवेदिका को दिया जाएगा तथा दूसरी किश्त दानो पक्षों की गवाही पूर्ण होने के पूर्व दी जाएगी और शेष बचे किश्त को महिला आयोग के समक्ष दी जाएगी और यह एन्ट्री दोनो पक्षों के लिए बंधनकारी होगी। आवेदिका के सामान हैदराबाद के निवास में रखा गया है जिसे लेने के लिए आवेदिका जायेगी और इसकी तिथि की सूचना आवेदिका द्वारा अनावेदक को पूर्व दी जाएगी। अनावेदक के अधिवक्ता ने बताया कि वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाईन से तलाक 01 दिन में निष्पादित हो जाती है, ऐसी दशा में तलाक के आवेदन पर आवेदिका के हस्ताक्षर के पूर्व अनावेदक के द्वारा शेष तीन लाख की राशि एकमुश्त दिया जाएगा।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका और उसके पति अनावेदक के बीच 2.50 लाख रुपए जीवन निर्वाह भत्ता देने का इकरार नामा दिनांक 19.03.2023 को किया गया था, जिसमें आवेदिका और अनावेदक के हस्ताक्षर है। इस तथ्य को अनावेदक ने स्वीकार किया उसने यह बताया कि वह बेलगहना रेल्वे में पोर्टर के पद पर कार्यरत था और जून 2023 में सेवा निवृत्त हुआ है, सेवा निवृत्त के बाद उसे लगभग 7.00 लाख रुपए मिले है, वह और आवेदिका पिछले 15 साल से अलग रह रहे है। अनावेदक ने 07 वर्ष पूर्व दूसरा विवाह कर लिया है और आवेदिका से तलाक भी नहीं लिया है, उसने यह भी बताया कि आवेदिका रेल्वे के मकान में रहती थी और मकान खाली नहीं कर रही थी जिसके बाद अनावेदक ने आवेदिका को 2.50 लाख देने के एवज में घर खाली करवा दिया गया और आवेदिका को 2.50 लाख रुपए भी अभी तक नहीं दिये है।

इस बिन्दु पर आयोग द्वारा अनावेदक को बताया गया कि केन्द्रीय सरकार की कर्मचारी होने के बाद भी आवेदिका राशि नहीं दी गई और पहली पत्नी से तलाक लिये बिना दूसरी शादी किया है और आयोग के समक्ष स्वीकार भी किया है. अतः आवेदिका उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकती है यह बताये जाने पर अनावेदक ने अपनी गलती स्वीकार किया है और दिनांक 30.09.2024 को रायपुर महिला आयोग के कार्यालय में आवेदिका के साथ उपस्थित होकर 1.00 लाख रुपए आवेदिका को दिया जावेगा और उसके बाद एक माह बाद बचे राशि 1.50 लाख रुपए अनावेदक के द्वारा आवेदिका को दी जावेगी। राशि नहीं दिये जाने पर कानूनी कार्यवाही करते हुए पेंशन रूकवाने की कार्यवाही की जाएगी।

एक अन्य प्रकरण में उभयपक्ष उपस्थित आवेदिका परिसमापित नागरिक सहकारी बैंक गोलबाजार में चपरासी के पद पर वर्ष 2008 से कार्यरत थी। उसका 02 वर्ष 07 माह का वेतन भुगतान नहीं किया गया है। प्रतिमाह 5500 रुपए के दर कुल 170500/- वेतन बकाया है, उपस्थित अनावेदक जो बैंक समापक है उनके द्वारा बताया गया कि आरबीआई की गाईडलाईन के अनुसार जब बैंक की रिकवरी आ जायेगा तो आवेदिका को उसका बकाया वेतन दे दिया जाएगा, चूंकि आवेदिका गरीब मजूदर महिला है और इतनी बड़ी राशि का वह लम्बा इंतजार नहीं कर सकती है। ऐसी दशा में अनावेदक को निर्देशित किया जाता है कि वह दो माह के अन्दर 170500/- लाख का मय ब्याज के साथ भुगतान करे अनावेदक के द्वारा बचाव में जो दस्तावेज दिखाये गये वह दस्तावेज आवेदिका के प्रकरण में लागू नहीं होते कि वह गरीब मजदूर महिला है कोई कार्पोरेशन नहीं है इसलिए उसकी रकम अदायेगी से बच नहीं सकते है। वर्तमान में अनावेदक कलेक्ट्रेट कैम्पस में जॉइन्ट कमिश्नर में आफिस में बैठते है जिसके प्रमुख पंजीयक एवं आयुक्त सहकारी संस्था होते है। अनावेदक के द्वारा दी गई जानकारी और संबंधित विभागों से सम्पर्क कर आवेदिका को बकाया राशि दिलाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता को नियुक्त किया जाता है कि वह इस प्रकरण में जिम्मेदार अधिकारियों से चर्चा कर इस अनावेदक से आवेदिका को बकाया 170500/- रुपए दिलाने में उसकी मदद करें।

एक अन्य प्रकरण में उपभपक्ष उपस्थित आवेदिका ने बताया कि उसका पति दूसरी शादी कर लिया है अनावेदक ने यह बात भी स्वीकार किया गया है कि दूसरी महिला उसके साथ रहती है उसका मोबाईल नम्बर भी अनावेदक के द्वारा दिया गया है। उभयपक्ष की संतान जो 08 साल का है उससे पुछा गया तो वह बोला कि वह अपने मम्मी-पापा के साथ रहना चाहता है और वह दूसरी महिला को जेल भेजने की बात कही है। अनावेदक ग्राम हरदी में हनुमान ट्रेडर्स में हेल्पर का काम करता है व अनावेदक के द्वारा लगतार झूठ बोलते हुए आयोग को गुमराह कर रहा है। ऐसी स्थिति में प्रकरण आगामी सुनवाई रायपुर में रखा जाता है।

एक अन्य प्रकरण में उपभयपक्ष उपस्थित अनावेदक क्रमांक 04 एक ही व्यक्ति के दो नाम है. आवेदिका के पति उसे छोड़ कर कही चला गया है आवेदिका का कथन है कि उपस्थित दोनों अनावेदकगणों के द्वारा उसे आवेदिका के पति भगाया गया है और उसे समाज में दूसरी शादी करने के लिए कहा जा रहा है तथा उसका पति पिछले कुछ दिनों से घर पर नहीं है। अनावेदकगणों ने बताया कि पिता 10 वर्ष पूर्व ही हो चुकी है और उसके मां का 03 वर्ष पूर्व हो चुकी है आवेदिका के पति का भरण पोषण उनके चाचा के द्वारा किया गया है। आवेदिका के विवाह होने के पश्चात् अनावदेगणों के द्वारा पेपर प्रकाशन कर अपने चल अचल सम्पत्ति और घर से बेदघल कर दिया गया है। अनावेदकणों के द्वारा आवेदिका और उसके पति के खिलाफ धारा 294, 506 का प्रकरण थाना सिटी कोतवाली में दर्ज करवाया गया है। इस प्रकरण को देखने और सुनने के बाद यह स्पष्ट है कि जनवरी 2024 तक आवेदिका का पति उसके साथ था पर अब वह गायब है और इस प्रकरण में अनावेदकगणों के द्वारा आवेदिका और उसके पति को सम्पत्ति से बेदखल करने का प्रकाशन समृद्ध प्रतीत होते है अतः उसके समस्त दस्तावेज लेकर आयोग के समक्ष उपस्थित हो और आवेदिका अपनी विवाह संबंधी दस्तावेज लेकर आयोग की सुनवाई रायपुर में उपस्थित हो।

एक अन्य प्रकरण में उभयपक्ष शादी के बाद 26 साल से अलग रह रहे है दोनो के एक पुत्र है और अनावेदक ने अवैध रूप से दूसरी औरत रख रखा है जिसके दो बच्चे है। अनावेदक सहायक लिपिक के पद पर कार्यरत है, उसका वेतन 60000/- है दोनो पक्ष के बीच सुलहनामा कराने के लिए प्रकरण रायपुर में दिनांक 12.08.2024 को रखा जाता है।

एक अन्य प्रकरण में उभयपक्ष उपस्थित आवेदिका ने बताया कि आवेदिका और अनावेदक कमांक 01 का आपसी तलाक नहीं हुआ है, और अनावेदक की पत्नी जो विवाह के पूर्व मुस्लिम धर्म का पालन करती थी उससे 10.01.2011 में सुन्दरगढ़ उड़िसा में निकाह किया था जिसके लिए अनावेदक ने धर्म व नाम परिवर्तन कर मुस्लिम धर्म अपना लिया था, आज बताया कि वह धर्म परिवर्तन नहीं किया है और हिन्दु है और दूसरी महिला जो मुस्लिम थी वो भी हिन्दू हो गई है। अर्थात अनावेदकगण ने दूसरी शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन कर उसका दुरूपयोग किया है अनावेदिका क्र 2 भलि भांति जानती थी कि अनावेदक क्र 01 पूर्व शादीशुदा है तथा उनकी शादी अवैधानिक व शुन्य होने योग्य है चूंकि अनोदिका क्र 02 के माता-पिता सुन्दरगढ़ उड़िसा में रहते है अतः सुरक्षा के दृष्टिकोण से आवेदिका को दूसरा विवाह के लिये मुस्लिम धर्म का दुरूपयोग करने वाली महिला को नारी निकेतन भेजा गया।