धमतरी, 25 जुलाई । धमतरी जिले के सिहावा विधानसभा के अंतिम सुदूर छोर में बसे बीहड़ जंगलों के बीच रोजमर्रा की समस्या से जूझता हुआ ग्राम घोरागांव बसा है। कठिनाइयों का सामना करते हुए ग्रामीण नदी को पार करते हैं।
बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को नदी पार करना पड़ता है तब वे स्कूल पहुंच पाते हैं।
ग्राम घोरागांव स्कूल के प्रधान पाठक गजानंद सोन ने बताया कि, विद्यालय व गांव तक पहुंचने के लिए दो नाले, जंगल रास्ता व एक बड़ी ऊफनती सोंढूर नदी को पार करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में गांव तक पहुंचना ही सबसे बड़ी चुनौती है। दोनों नालों में रपटा नहीं है। गांव वाले अनेक बार शासन प्रशासन से नदी में पुल बनाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन आज तक नदी में पुल नहीं बन पाया है। मालूम हो कि आदिवासी बाहुल्य ग्राम में कमार जाति के लोग अधिक हैं। सरकार कमार जाति को विकास की मुख्य धारा से जोड़ना चाहती है, इसके लिए प्रयास जारी है। ग्रामीणों के साथ साथ शिक्षकों को भी प्रतिदिन कर्त्तव्य पथ पर नदी को पार करना ही पड़ता है। गांव वालों को राशन लाने व स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 10-12 किलो मीटर दूर फरसियां, भोथली, सांकरा जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने शासन से अतिशीघ्र पुल निर्माण की मांग की है।
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