केरल में निपाह वायरस ने फिर दी दस्तक, नाबालिग में हुई संक्रमण की पुष्टि

केरल,21 जुलाई 2024। एक बार फिर से निपाह वायरस ने दस्तक दी है। मलप्पुरम जिले के 14 वर्षीय एक लड़के में संक्रमण मिलने की पुष्टि हुई है। निपाह संक्रमण का मामला सामने आने के बाद केरल सरकार ने अलर्ट जारी किया है। साथ ही लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि पुणे एनआईवी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी) ने लड़के में संक्रमण मिलने की पुष्टि की है। नाबालिग का निजी अस्पताल में इलाज जारी है। वह वेंटिलेटर पर है। जल्द ही उसे कोझिकोड के सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। साथ ही कान्टेक्ट ट्रेसिंग शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही उच्च जोखिम वाले संपर्क को आइसोलेट कर दिया गया है। उनके नमूनों को परीक्षण के लिए भेजा गया है।

मंत्री ने कहा कि एहतियाती कदम उठाए गए हैं। निपाह संक्रमण को लेकर प्रोटोकॉल लागू कर दिया गया है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक और मलप्पुरम और कोझिकोड के जिला कलेक्टरों के साथ बैठक कर सख्त कदम उठाने के लिए कहा है। इसके अलावा अस्पतालों के स्टाफ और लोगों को मास्क पहनने के लिए कहा है।

सितंबर में मिला था वायरस

दक्षिणी राज्य केरल में सितंबर 2023 में निपाह वायरस के मामले सामने आए थे। इसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। केरल का कोझिकोड जिला संक्रमण के सबसे ज्यादा चपेट में था। केरल में संक्रमण के खतरे को देखते हुए आसपास के राज्यों को भी सतर्क किया गया था। इसके बाद अक्तूबर में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने उत्तरी कोझिकोड जिले के मारुथोंकारा से एकत्र किए गए चमगादड़ों के नमूनों में निपाह वायरस एंटीबॉडी की मौजूदगी की पुष्टि की थी।

ऐसे लक्षणों को लेकर बरतें सावधानी

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, निपाह के जोखिमों को लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। इसके लक्षणों पर गंभीरता से ध्यान दें। संक्रमितों को शुरुआत में फ्लू जैसे लक्षण होते हैं। निपाह वायरस मुख्य रूप से फेफड़ों और मस्तिष्क पर अटैक करता है। इसके लक्षणों में खांसी और गले में खराश से लेकर तेजी से सांस लेने, बुखार-मतली और उल्टी जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं। गंभीर मामलों में, इसके कारण इन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) हो सकती है, जो कोमा और मृत्यु के खतरे को बढ़ाने वाली मानी जाती है।

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