वनाधिकार पट्टाधारी की मौत के बाद वारिसानों को हस्तांतरण की प्रक्रिया तय

रायपुर,19 जुलाई। वनाधिकार पट्टाधारियों की मौत के बाद उनके वारिसानों को काबिज भूमि के हस्तांतरण संबंधी प्रक्रिया राज्य सरकार ने तय कर दी है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में इस संबंध में नीतिगत निर्णय लिया गया था। इस सरकार ने क्रियान्वयन करते हुए प्रक्रिया तय की है। विधिक वारिसान द्वारा काबिज वन भूमि जिस विभाग के अभिलेखों में दर्ज है, उसके आधार पर आवेदन संबंधित विभाग के अधिकारी तहसीलदार (राजस्व विभाग) या रेंज ऑफिसर (वन विभाग को प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद संबंधित विभागीय अधिकारी द्वारा आगे की कार्यवाही तय की जाएगी।

वन अधिकार मान्यता पत्रधारक का निधन होने पर कैफियत कालम में दर्ज संशोधन पर राजस्व विभाग और वन विभाग किस प्रकार काम करेंगे ये तय किया गया है। वन अधिकार पत्र धारी के विधिक वारिसान द्वारा फौती नामांतरण, संशोधन के लिए आवश्यक दस्तावेज के साथ आवेदन तथा घोषणा पत्र (राजस्व विभाग) तहसीलदार को प्रस्तुत किया जाएगा। इसमें वन अधिकार पत्र धारक का मृत्यु प्रमाणपत्र, या ग्राम पंचायत, ग्राम सभा का मृत्यु के संबंध में प्रमाणपत्र, सभी वारिसानों का आधार, वोटर आईडी एवं मोबाईल नंबर देना होगा। यदि भूमि वन विभाग के अभिलेख में दर्ज है तो यही दस्तावेज वन विभाग के रेंज आफिसर के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे।

ऐसे जारी होगी ऋण वनाधिकार पुस्तिका
राजस्व विभाग के अभिलेख में वनाधिकार पत्र होने की स्थिति में विधिक वारिसान का नाम दर्ज करने के लिए छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहित 1959 की धारा 110 की भांति प्रकरण दर्ज किया जाकर धारा 110 के अधीन बने नियमों का पालन करते हुए प्रकरण का निराकरण समय सीमा में किया जाएगा। मूल रूप से जारी वन अधिकार पत्र की स्व प्रमाणित सत्यापित छायाप्रति एवं वन अधिकार पुस्तिका प्रकरण के साथ संलग्न किया जाएगा तथा परीक्षण के बाद वन अधिकार पुस्तिका में फौती नामांतरण का इंद्राज किया जाएगा। वारिसानों को संशोधित वनअधिकार पुस्तिका जारी की जाएगी। ऐसे प्रकरणों में तहसील द्वारा पारित आदेश के तहत वन अधिकार पुस्तिका एवं राजस्व अभिलेख (अधिकार अभिलेख) को अपडेट किया जाएगा।

वन अभिलेखों को किया जाएगा अपडेट
यह कार्यवाही तीन माह में पूरी होगी। यदि वनाधिकार पत्र वन विभाग के अभिलेख में दर्ज है, तो विधिक वारिसान को वनाधिकार पत्र की स्वप्रमाणित प्रति एवं वन अधिकार पुस्तिका रेंज अफसर को प्रस्तुत की जाएगी। इसके परीक्षण के बाद 30 दिनों में आदेश पारित किया जाएगा तथा वन अधिकार पुस्तिका में फौती नामांतरण का इंद्राज किया जाएगा। रेंज ऑफिसर द्वारा पारित आदेश के तहत वन अधिकार पुस्तिका एवं वन अभिलेखों को अपडेट किया जाएगा। यह कार्यवाही 30 दिनों में पूरी होगी।विवादित प्रकरणों में अनुविभागीय अधिकारी वन द्वारा संबंधितपक्षकारों की सुनवाई के बाद पारित आदेश अनुसार रेंजर द्वारा नामांतरण की कार्यवाही की जाएगी।

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