पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में 17 जून को कंचनजंगा एक्सप्रेस और मालगाड़ी की हुई टक्कर मामले में चीफ कमिश्नर रेलवे सेफ्टी (CCRS) जनक कुमार गर्ग की रिपोर्ट आ गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें अकेले लोको पायलट, एएलपी या फिर गार्ड की गलती नहीं थी, बल्कि संयुक्त रूप से स्टेशन मैनेजर और ट्रेन संचालन से संबंधित कई अधिकारियों के स्तर पर ‘चूक’ हुई थी। जिस वजह से यह ट्रेन एक्सीडेंट हुआ और मालगाड़ी के पायलट और कंचनजंगा के गार्ड समेत हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई थी।
रिपोर्ट में क्या कहा गया?
रिपोर्ट में रेलवे बोर्ड को भी सलाह दी गई है कि वह सुरक्षित ट्रेन चलाने के लिए कवच लगाने समेत ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम के लिए देशभर में एक यूनिफॉर्म सिस्टम तैयार करे। क्योंकि, कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे में जो गलतियां या चूक हुई। वह किसी एक के कारण नहीं बल्कि चीजों को अलग-अलग समझने की वजह से भी हुई। जैसे की कंचनजंगा और मालगाड़ी से पहले रंगापानी रेलवे स्टेशन से पांच और ट्रेन रवाना हुई थी। इन सभी को स्टेशन मास्टर ने T/A 912 अथॉरिटी जारी की थी। लेकिन यह सब ट्रेन अलग-अलग स्पीड से आगे पहुंची थी। इसमें 14 मिनट से लेकर 36 मिनट तक का ट्रेनों ने समय लिया। इन सात ट्रेनों में केवल कंचनजंगा एक्सप्रेस के पायलट ने नियमों का पालन किया और खराब सिग्नल होने के चलते उसने 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाई। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि अन्य ट्रेनों के एलपी ने नियमों का पालन नहीं किया। चूंकि T/A 912 अथॉरिटी पर कहीं पर भी ट्रेन लिमिट नहीं लिखी गई थी। इस वजह से सब ट्रेनों के पायलट ने ट्रेनों को अपने-अपने हिसाब से दौड़ाया।
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