0.सफलता की कहानी
बिलासपुर,13 जुलाई। जैविक खेती की ओर कदम बढ़ा कर जिले के किसान अब खेती-किसानी में क्रांति ला रहे है। भूमि की गुणवत्ता में सुधार लाने में भी अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे है। बिल्हा विकासखण्ड के ग्राम गोंदईया में समूह की महिलाएं कचरा प्रबंधन कर एवं अपशिष्ट से तैयार जैविक उर्वरक एवं खाद का उपयोग कर सब्जी उत्पादन कर रहीे हैं। इस खेती से उन्हें 60 हजार से लेकर 70 हजार तक का वार्षिक लाभ हो रहा है। महिलाओं के जीवन में आर्थिक सुधार आया है और वे अपने परिवार की जिम्मेदारियों में बखूबी अपना योगदान दे रही हैं।
समूह की महिलाओं ने बताया कि गांव में मनरेगा के तहत एसएलडब्ल्यूएम शेड, नाडेफ एवं वर्मी टेंक निर्माण किया गया है। इन कार्याें के लिए मनरेगा अंतर्गत लगभग 9.28 लाख रूपये की राशि स्वीकृत हुई थी। शेड के माध्यम ठोस एवं तरल अपशिष्ट के रूप में निकलने वाले कचरे का प्रबंधन कर जैविक खाद बनाया जा रहा है। अपशिष्टों को विभिन्न स्त्रोतों से एकत्र कर अपशिष्ट प्रबंधन प्रक्रिया के माध्यम से उनका निपटान किया जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि शेड निर्माण कार्य से अस्वच्छता संबंधी समस्याओं का निदान हुआ है। ग्राम पंचायत में स्वच्छता का माहौल बना है। ठोस एवं तरह अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य प्रतिदिन किया जा रहा है। जिसमें प्रत्येक परिवार को डस्टबीन दी गई एवं तिपहिया वाहन खरीदे गए है। जिसके माध्यम से कचरा का प्रबंधन किया जा रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत सरपंच, रोजगार सहायक एवं अधिकारी-कर्मचारी प्रशंसा के पात्र है, जिन्होंने शेड निर्माण के संबंध में उन्हें अवगत कराया एवं निर्माण हेतु प्रेरित किया। सभी ग्रामीण इस कार्य से अत्यंत खुश है। उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है। पहले गंदगी का वातावरण रहता था। ठोस एवं तरल कचरा खुल में इधर उधर पड़ा रहता था। उक्त निर्माण से अब कचरा का प्रबंधन हुआ है। स्व सहायता समुहों को रोजगार एवं आजीविका का साधन प्राप्त हुआ, जिससे उनके जीवन में आर्थिक सुधार संभव हो पाया है।
[metaslider id="347522"]