कोरबा, 12 जुलाई । आकांक्षी जिला कोरबा में आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित आश्रम छात्रावास अमले की कमी से जूझ रहे हैं। 44 फीसदी आश्रम -छात्रावास उधार के अधीक्षकों के भरोसे चल रहे। जी हां सुनने में भले अचरज लगे लेकिन यह बिल्कुल सच है, कुल संचालित 181 आश्रम छात्रावासों में से 81 आश्रम छात्रावासों में अधीक्षक के पद रिक्त हैं। यहां शिक्षा विभाग के शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर प्रभारी अधीक्षक का कार्य दायित्व निर्वहन कर रहे। शासन स्तर पर व्यापमं से आज पर्यंत अधीक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाने की वजह से इस तरह के लचर हालात निर्मित हुए हैं।
यहाँ बताना होगा कि आकांक्षी जिला कोरबा में कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित कुल 183 आश्रम छात्रावास हैं। इनमें 122 बालक एवं 61 बालिका आश्रम छात्रावास संचालित हैं। कुल आश्रम छात्रावासों में अनुसूचित जाति प्री. मै .छात्रावास 16 ,अनुसूचित जाति पो. मै .छात्रावास 2,प्री. मै . आदिवासी छात्रावास 92 ,पो. मै .आदिवासी छात्रावास 13,प्री. मै .पिछड़ा वर्ग छात्रावास 1 ,प्रा.स्तर आदिवासी आश्रम 43 एवं 16 माध्यमिक स्तर आदिवासी आश्रम संचालित हैं। जहां 8 हजार 610 सीट स्वीकृत हैं। जिनमें 5 हजार 350 बालक एवं 3 हजार 260 बालिका वर्ग के लिए सीट स्वीकृत है। लेकिन इन आश्रम छात्रावासों के संचालन के लिए विभाग अधीक्षकों की नियुक्ति नहीं कर पाया। कुल 183 आश्रम छात्रावासों में से 102 पदों पर ही विभागीय अधीक्षक सेवाएं दे रहे। शेष 81(44 फीसदी से अधिक)पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं। इन पदों पर वर्तमान में शिक्षा विभाग से शिक्षकों से प्रतिनियुक्ति पर अधीक्षक का कार्य लिया जा रहा है। लेकिन स्थिति तब बिगड़ जाती है जब अनुशासनहीनता पर इन अधीक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए सहायक आयुक्त को सीधे कार्रवाई का अधिकार नहीं है। इसके लिए शिक्षा विभाग से समन्वय स्थापित करना पड़ता है।
व्यापमं से होनी है भर्ती, इतने पद हैं रिक्त
प्रदेश में 2015 में 800 पदों में अधीक्षकों की प्री .मै. छात्रावास अधीक्षक के पद भर्ती हुई थी। लेकिन 2022 में पदोन्नति के उपरांत भी 600 अधीक्षक उसी पद पर कार्यरत हैं। जबकि कायदे से उनको पो.मै. या आश्रम में पदस्थापना देनी चाहिए। ताकि रिक्त पदों की स्थिति स्पष्ट हो सके। वित्त विभाग से अनुमति लेकर भर्ती की कवायद शुरू की जा सके।। बताया जा रहा है प्रदेश में करीब 3200 आश्रम -छात्रावास संचालित है। इनमें करीब 2 हजार अधीक्षकों के पद रिक्त हैं। व्यापमं हर भर्ती में एक चौथाई रिक्त पदों पर भी भर्ती कर सका है। लिहाजा 300 से अधिक पदों पर भर्ती की कवायद की गई है। लेकिन आज पर्यंत वह पूरी नहीं हो सकी है।
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