जल जीवन मिशन : अधूरे कार्य और ग्रामीणों की समस्याएं…

0.सुभम कंस्ट्रक्शन ने नेशनल हाइवे से लगे गांवों मे किया अधूरा कार्य, नही मिल रहा पानी

बीजापुर, 09 जुलाई। बीजापुर जिले में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘जल जीवन मिशन’ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। केंद्र सरकार द्वारा जिले के 563 गांवों के लिए 361 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी, जिसका उद्देश्य हर घर में शुद्ध पानी पहुंचाना था। परंतु, विभागीय अनदेखी और कमीशनखोरी के कारण यह योजना धरातल पर उतरने से पहले ही कागजों में पूर्ण कर ली गई।

अधूरे कार्य और ग्रामीणों की समस्याएं
बीजापुर जिले में, सुभम कंस्ट्रक्शन द्वारा नेशनल हाइवे से लगे गांवों में अधूरे कार्य किए गए, जिसके चलते ग्रामीणों को अभी भी पानी नहीं मिल पा रहा है। दो साल बाद भी, कई गांवों में टूटे नल, अधूरे पाइप, और बिना टंकियों के नल जल योजना के अधूरेपन का प्रतीक बने हुए हैं।

सरकारी खंडहरों में लगाए नल
बोपालपटनम ब्लाक के नेशनल हाइवे पर स्थित संगमपल्ली में सरकारी खंडहर नुमा मकानों के सामने नल लगाए गए हैं। स्थानीय निवासी संतोष और अन्य ग्रामीणों के अनुसार, ये मकान 20 साल पहले बने थे और अब ये खंडहर बन चुके हैं, जिसमें केवल गाय और मवेशियों का जमावड़ा रहता है। इन मकानों के सामने लगाए गए नल से कभी पानी नहीं आया है।

अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत
इस योजना में ठेकेदारों और विभागीय अधिकारियों के बीच कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की मिलीभगत स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। जल जीवन मिशन को कागजों में पूर्ण करते हुए तय मापदंडों को दरकिनार किया गया और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया।

पीएचई के कार्यपालन अभियंता का बयान
पीएचई के कार्यपालन अभियंता एस के नेताम ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “सारे कार्य पहले के हैं। पहले के अधिकारी क्या किए और क्या नहीं, इस संबंध में मैं कुछ नहीं कहूंगा। मैं मार्च 2024 में यहां आया हूँ और आने के बाद पुराने कार्यों को दुरुस्त करने में लगा हूँ। कुछ ठेकेदारों द्वारा कार्य अधूरा छोड़ दिया गया है, जिनसे कार्य ठीक करने के लिए नोटिस दिया गया है और जिन ठेकेदारों के कार्य गुणवत्ताहीन हैं, उनके कार्यों को निरस्त करने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है।”

बीजापुर जिले में जल जीवन मिशन की इस दुर्दशा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी ने एक महत्वपूर्ण योजना को असफल बना दिया है, जिससे ग्रामीण आज भी पानी के लिए तरस रहे हैं। सरकार और संबंधित विभागों को इस मामले में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ग्रामीणों को उनका अधिकार मिल सके और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।