जंगल में फारेस्ट का छापा, बड़ी मात्रा में कीमती लकड़ी जब्त

महावीरगंज,07 जुलाई। वन परिक्षेत्र धमनी अंतर्गत ग्राम सुंदरपुर में तस्करों द्वारा सडक़ से करीब डेढ़ सौ मीटर अंदर जंगल में भारी मात्रा में छिपा कर रखी गई खैर की लकड़ी को वन विभाग ने ग्रामीणों की सूचना पर जब्त कर लिया है। जब्त लकड़ी 11.235 घन मीटर बताई जा रही है। बड़े इलाके में फैली लकड़ी की संख्या लगभग दो सौ के आसपास है।

बताया गया कि खैर की लकड़ी को अंतराज्यीय तस्करों के द्वारा कुछ स्थानीय लोगों के सहयोग से गांव-गांव में जाकर खरीद कर एक जगह जमा किया गया था। तस्करों के उठाने के पूर्व इसे ग्रामीणों ने देख लिया एवं इसकी सूचना वन विभाग को दे दी। बताया जा रहा है कि सुंदरपुर में खैर की इतनी लकड़ी नहीं है इसे धमनी, गडग़ोड़ी सहित अन्य स्थानों से लाकर जमा किया गया था। रेंजर अजय वर्मा ने बताया कि खैर की लकड़ी जब्त कर ली गई है। आगे की कार्रवाई के लिए तहसीलदार को लिखित में सूचना दे दी गई है। बता दें कि बलरामपुर जिले के इस इलाके में खैर का पेड़ एक समय काफी संख्या में थे। तस्करों द्वारा लगातार चोरी छिपे पेड़ों की कटाई व इसकी झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश में तस्करी से अब ये पेड़ काफी कम हो गए हैं। खैर पेड़ की मांग ज्यादा होने के कारण वन माफियाओं के द्वारा जंगल को खैर पेड़ विहीन कर दिया गया है। अब खैर का पेड़ ग्रामीणों के खेतों में ही देखा जाता है। तस्कर सक्रिय रहते हैं एवं घूम घूम कर खैर का पेड़ खोज कर ग्रामीणों से पैसा देकर उसे कटवा कर खरीद लेते हैं। खैर के पेड़ जंगलों से इसलिए भी लुप्त हो गए क्योंकि इसका उपयोग कत्था बनाने और चमड़ा उद्योग में किया जाता है। इसकी मांग अधिक होने की वजह से इसके पेड़ लगातार कटते गए। उत्तर प्रदेश में काफी महंगे दाम पर खैर की लकड़ी बिकती है। इसे किलो में लेते हैं। खैर पेड़ की हमेशा मांग बनी रहती है जिसका तस्कर इसका मुंह मांगा कीमत देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ग्राम बिशुनपुर के राम लखन के घर के बाहर रखी 42 नग खैर की लकड़ी वन विभाग के द्वारा जब्त् की गई जो 1.894 घन मीटर है। ग्रामीण ने बताया कि इलाज के लिए पैसे की जरूरत थी। इसलिए अपनी जमीन से खैर के पेड़ को काटकर बेचा था। लकड़ी अभी उठाई नहीं गई थी इस कारण घर के बाहर रखी हुई थी।