कटघोरा,05 जुलाई 2024। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को व्यवहार में लाने के लिए छग शासन उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार राज्य स्तर से प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर्स के द्वारा उच्च शिक्षा शिक्षण संस्थानों में कार्यशाला का आयोजन कर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी क्रम में शासकीय मुकुटधर पांडेय महाविद्यालय कटघोरा, जय बूढ़ादेव महाविद्यालय कटघोरा, शासकीय नवीन महाविद्यालय जटगा, माता कर्मा महाविद्यालय कुसमुंडा एवं जिप्सा महाविद्यालय कुचैना में वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ प्रिंस मिश्रा शासकीय मुकुटधर पांडेय महाविद्यालय कटघोरा ने एक दिवसीय कार्यशाला आयोजन में प्रशिक्षण प्रदान किया।
उन्होंने महाविद्यालय के प्राचार्य, सहायक प्राध्यापक व अधिकारी-कर्मचारियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत नवाचारिक तरीकों का परिचय दिया। उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से विभिन्न शैक्षिक योजनाओं, पाठ्यक्रमों और शिक्षा सामग्रियों के उपयोग व वर्तमान परिवर्तन के बारे में अद्यतन जानकारी दी, जिससे वे अपने शिक्षण स्तर को इस ओर निरूपित कर और प्रभावी बना सकें। प्राचार्य डॉ मदनमोहन जोशी ने आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को विशेष तौर पर विविधताओं और नवीन अनुसंधान पर केन्द्रीयकृत रखा गया है। इससे अनुकूलित नवाचार, नई तकनीकें और कौशल विकास आदि अपनाने में शिक्षकों व विद्यार्थियों दोनों को सुगमता होगी, साथ ही संस्थागत अभावों की स्थिति भी निर्मित नहीं होगी। इसी क्रम में मास्टर ट्रेनर डॉ प्रिंस मिश्रा ने विस्तारपूर्वक स्पष्ट किया कि पहले की उच्च शिक्षा शिक्षण पद्धति और नीतियां उस समय की तात्कालिक परिस्थितियों और आवश्यकताओं पर आधारित थी। बदलते दौर में गुणवत्तापूर्ण योग्य संकायों और विषयों को लेकर कुछ जटिलताएं महसूस की जाती रहीं, जिन्हें इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दूर कर दिया गया है। उनके अनुसार अब विद्यार्थियों के पास रोजगारोन्मुखी अपनी रूचि के अनुरूप वैल्यू ऐडेड कोर्स, स्किल डेवलपमेन्ट कोर्स जैसे भी कई विकल्प होंगे। वहीं, स्नातक स्तरीय शिक्षा सेमेस्टर प्रणाली पर आधारित होगी और यदि कोई विद्यार्थी किसी कारणवश अपनी पढ़ाई
बीच में ही छोड़ देता है, तब भी उसकी मेहनत व्यर्थ नहीं जाएगी। इस ओर, एक वर्ष में मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र, दो वर्ष में डिप्लोमा, तीन वर्ष में डिग्री सहित चौथे वर्ष ऑनर्स डिग्री या ऑनर्स विथ रिसर्च की डिग्री भी प्रदाय करने के प्रावधान भी किए गए हैं। इसके अलावा प्रशिक्षण के दौरान मूल्यांकन पद्धति में किए गए कई
बड़े बदलावों के बारे में भी बतलाया गया। जिसमें सतत आंतरिक मूल्यांकन में 30 प्रतिशत अंक और सेमेस्टर के अंत में 70 प्रतिशत अंकों के लिए परीक्षाएं होंगी। अब उत्तीर्ण होने के लिए विद्यार्थियों को कम से कम 40 फीसदी अंक प्राप्त करने होंगे। जो पहले से आसान होगा।उदाहरण के लिए यदि विद्यार्थी महाविद्यालय से 30 में से 25 अंक प्राप्त कर लेता है तो उसे विश्वविद्यालय से बाह्य परीक्षा में 70 में मात्र 15 अंक प्राप्त करने होंगे। इस प्रकार उसे 100 में 40 अंक प्राप्त हो जाएंगे। कार्यशाला का अंतिम सत्र में सभी बिंदुओं पर पुनरावलोकन किया गया। इस अवसर पर एमडीपी कॉलेज स्टाफ डॉ पूनम ओझा, डॉ शिवदयाल पटेल, प्रो तिलक आदित्य, प्रो नूतनपाल कुर्रे, प्रो यशवंत जायसवाल, डॉ मनहरण अनंत,
डॉ धरम दास टंडन, प्रेमनारायण वर्मा, शैलेंद्र सिंह ओट्टी, भुनेश्वर कुमार, प्रतिमा कंवर, धर्मेंद्र कुमार, राजकुमारी मरकाम, अक्षय ध्रुव, राकेश आजाद, सोनाली देवांगन, कार्यालयीन स्टाफ डॉ कल्पना शांडिल्य, बालाराम साहू, चंचल वैष्णव, मनहरण श्याम, के के दीवान, के के मरकाम, पुरुषोत्तम तंवर, विकास जायसवाल, देवेंद्र, लक्ष्मीन बाई, सविता नेताम, कंचन देवी, महिपाल आदि उपस्थित रहे।
[metaslider id="347522"]