इफको के नैनो उर्वरक संवर्धन महाअभियान की शुरुआत

200 मॉडल नैनो ग्राम समूह (क्लस्टर) के माध्यम से 800 गाँवों के किसानों को इफको द्वारा नैनो यूरिया प्लस, नैनो डीएपी एवं सागरिका के प्रयोग को प्रोत्साहित करने हेतु अनुदान दिया जाएगा


245 लाख एकड़ क्षेत्र पर ड्रोन द्वारा स्प्रे करने के लिए 15 संस्थाओं से अनुबंध किया गया है


देश में निर्मित स्वदेशी उत्पाद नैनो यूरिया प्लस एवं नैनो डीएपी (तरल) के प्रयोग को भारतीय कृषि की मुख्यधारा में लाने हेतु इफको द्वारा महाभियान चलाया जाएगा

झारखंड 3 जुलाई, 2024 : नैनो उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए इफको द्वारा नैनो उर्वरक उपयोग संवर्धन महाअभियान की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत इफको द्वारा 200 मॉडल नैनो ग्राम समूह (क्लस्टर) चयनित किए गए हैं। इसके माध्यम से 800 गाँवों के किसानों को इफको द्वारा नैनो यूरिया प्लस, नैनो डीएपी एवं सागरिका के मूल्य पर 25 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है, ताकि किसान अपने खेतों में नैनो उर्वरकों का अधिक से अधिक प्रयोग कर सकें। इसके साथ ही इफको द्वारा ड्रोन उद्यमी को 100 रुपए प्रति एकड़ की दर से अनुदान दिया जाएगा, जिससे किसानों को कम दरों पर छिड़काव की सुविधा प्राप्त हो सके। इन मॉडल नैनो गाँवों में जो फसल होगी उसकी गुणवत्ता एवं उत्पादन की वृद्धि का आँकलन कर किसानों को अवगत कराया जाएगा।


खेती में नैनो उर्वरकों के प्रयोग बढ़ाने के लिए माननीय प्रधान मंत्री जी ने भी 100 दिवसीय कार्य योजना की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत 413 जिलों में नैनो डीएपी (तरल) के 1270 प्रदर्शन एवं 100 जिलो में नैनो यूरिया प्लस (तरल) के 200 परीक्षण किए जाएँगे। इन परीक्षणों में कृषि विज्ञान केंद्र, राज्य कृषि विश्वविद्यालय एवं अन्य शोध संस्थानों की मदद ली जाएगी और भारत सरकार द्वारा भी इसकी निगरानी की जाएगी।
इफको द्वारा नैनो उर्वरकों को सहकारी समिति एवं अन्य बिक्री केंद्र तक उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही, नैनो उर्वरकों के लाभ के बारे में किसानों को बताया जाएगा। नैनो उर्वरकों के छिड़काव हेतु इफको द्वारा किसानों के लिए 2500 कृषि ड्रोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिसके लिए 300 ‘नमो ड्रोन दीदी’ तथा ड्रोन उद्यमी तैयार किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, अन्य प्रकार के स्प्रेयर भी उपलब्ध कराए गए हैं, जिनके माध्यम से किसान आसानी से अपने खेतों में नैनो उर्वरकों का छिड़काव कर सकेंगे। 245 लाख एकड़ क्षेत्र पर ड्रोन द्वारा स्प्रे करने के लिए 15 संस्थाओं से अनुबंध किया गया है, जो किसानों के खेतों में छिड़काव करेंगे। प्रत्येक स्प्रे पर 100 रुपए प्रति एकड़ का इंसेंटिव भी प्रदान किया जाएगा।


अगस्त 2021 से 26 जून, 2024 तक इफको द्वारा उत्पादित कुल 7.55 करोड़ नैनो यूरिया एवं 0.69 करोड़ नैनो डीएपी की बोतलों का उपयोग किसानों द्वारा किया जा चुका है। किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुँचाने हेतु इफको द्वारा वर्ष 2024-25 में 4 करोड़ नैनो यूरिया प्लस एवं 2 करोड़ नैनो डीएपी बोतलों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी क्रम में अप्रैल 2024 से इफको द्वारा किसानों को अधिक सांद्रता वाला नैनो यूरिया प्लस (तरल) 20% डब्ल्यू/वी एन उपलब्ध कराया गया है, जिससे गुणवत्तापूर्ण फसल उत्पादकता बढ़ाने एवं पर्यावरण सुरक्षा में मदद मिलेगी।


इस महाअभियान के अंतर्गत इफको द्वारा देश के समस्त जिलों में प्रचार-प्रसार, क्षेत्र-परीक्षण, सहकारी समितियों के सचिवों के प्रशिक्षण आदि की योजना भी बनाई गई है। इस योजना को लागू करने हेतु उर्वरक मंत्रालय द्वारा भी सहयोग किया जाएगा, ताकि खेतों में रासायनिक उर्वरकों की जगह नैनो उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा मिल सके। इस महाअभियान के अंतर्गत नैनो उर्वरकों की 6 करोड़ बोतलें उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है, जिसका वितरण इफको की 36000 सदस्य सहकारी समितियों एवं अन्य सहकारी समितियों के माध्यम से किया जाएगा।

यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि नैनो उर्वरकों की उपलब्धता प्रत्येक प्रधान मंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (पीएमकेएसके) पर हो सके। इफको द्वारा इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल), फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स त्रावणकोर (एफएसीटी), ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीवीएफसीएल), राष्ट्रीय केमिकल्स एवं फर्टिलाइजर्स लिमिटेड‍ (आरसीएफ), नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड‍ (एनएफएल) आदि संस्थानों के साथ विपणन करार कर किसानों को नैनो उर्वरक उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
अगस्त 2021 में इफको ने नैनो तकनीक आधारित विश्व के पहले स्वदेशी नैनो यूरिया का व्यावसायिक उत्पादन कर पूरे विश्व को पारंपरिक यूरिया का एक बेहतरीन विकल्प दिया है। मार्च 2023 में इफको द्वारा डीएपी उर्वरक के प्रयोग को कम करने के लिए नैनो डीएपी (तरल) को भी किसानों को उपलब्ध कराया है। विश्व भर में पर्यावरण असंतुलन की बढ़ती गंभीर समस्या को देखते हुए नैनो उर्वरकों द्वारा खेती में पारंपरिक रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग में कमी लाने की आवश्यकता है। इसके परिणामस्वरूप, पर्यावरण सुरक्षा के साथ ‘आत्मनिर्भर कृषि’ एवं ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना को साकार करते हुए आर्थिक एवं वैश्विक स्तर पर भी देश को मजबूत बनाया जा सकता है।
यूरिया के अंधाधुंध प्रयोग से होने वाले नुकसान की बात करें, तो यूरिया की उपयोग दक्षता 30 प्रतिशत से भी कम होने से 70 प्रतिशत से अधिक मात्रा गैस के रूप में (एनओएक्स) पर्यावरण को, नाइट्रेट (एनओ3) के रूप में जल प्रदूषण करके और अमोनिया (एनएच4+, एनओ3) के रूप में मृदा स्वास्थ्य को हानि पहुँचाती है। कीटों और बीमारियों का अधिक प्रकोप होना, फसल गिरना और फसल द्वारा प्रतिकूलता सहन न कर पाने में कहीं न कहीं पारंपरिक यूरिया की भूमिका है। नैनो उर्वरकों के कई लाभ हैं, जिनमें मृदा स्वास्थ्य में सुधार, जल एवं वायु प्रदूषण में कमी, फसल उत्पादन एवं गुणवत्ता में वृद्धि, पारंपरिक उर्वरकों के प्रयोग में कमी, कीटों एवं रोगों के प्रकोप में कमी, परिवहन एवं भंडारण में आसानी तथा पर्यावरण अनुकूलता आदि प्रमुख हैं।

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