पेपर लीक विवाद के बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार रात एक सख्त कानून लागू कर दिया जिसका मकसद प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं को रोकना है।
कानून में दोषियों के लिए अधिकतम 10 वर्ष कारावास की सजा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।यूजीसी-नेट, 2024 के प्रश्न पत्र लीक को लेकर चल रहे विवाद के बीच यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अधिसूचना में कहा गया है, ”सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 (2024 का 1) की धारा एक की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार 21 जून, 2024 को उक्त अधिनियम के प्रविधानों को लागू करती है।”एक दिन पहले ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से पूछा गया था कि यह कानून कब लागू होगा, तब उन्होंने कहा था कि कानून मंत्रालय नियम बना रहा है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने 12 फरवरी को इसे मंजूरी दी थी
सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 को लोकसभा ने छह फरवरी और राज्यसभा ने नौ फरवरी को पारित किया था। राष्ट्रपति मुर्मु ने 12 फरवरी को इसे मंजूरी दी थी।
नेट-यूजीसी यूपीएससी, एसएससी, रेलवे भर्ती, बैंकिंग जैसे परीक्षाओं की पेपर लीक करने वाले अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए मोदी सरकार ने एंटी पेपर कानून बनाई थी, जिसे सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) कानून 2024 नाम दिया गया है। इस साल के फरवरी महीने में इस कानून को पारित किया गया था।
- कानून के मुताबिक, पेपर लीक मामले में दोषी पाए जाने के बाद व्यक्ति को 10 साल की सजा और 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- दूसरे कैंडिडेट के स्थान पर परीक्षा देने के मामले में दोषी पाए जाने पर अपराधी को 3 से 5 साल की जेल होगी और 10 लाख का जुर्माना भी लगाया जाएगा।
- इसके अलावा अगर परीक्षा में गड़बड़ी मामले में किसी संस्थान का नाम सामने आता है तो उस संस्थान से परीक्षा का पूरा खर्चा वसूला जाएगा। वहीं, संस्थान की संपत्ति भी कुर्क की जा सकती है।
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