0.21 जून, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष लेख
कहा जाता है कि स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का वास होता है। अब सवाल यह है इस भागमभाग जिंदगी में, बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण, कोलाहल और वायु प्रदूषण के बीच तन व मन को किस तरह स्वस्थ रखें ?
भारत देश को कृषि संस्कृति और ऋषि संस्कृति के रूप में पूरे विश्व में जाना जाता है। तमाम अभाव, असुविधाओं के बावजूद करोड़ों भारतीय अपनी संस्कृति, परम्परा, खान-पान, रहन-सहन के बीच जीवन व्यतीत करते हैं। भारत देश मे प्राचीन काल से स्वास्थ्य के प्रति सजग होने का एक अद्भुत उदाहरण आज भी देखने को मिलता है।
जिस तरह गांवों की बाड़ियो में लहलहाती सब्जियों की मांग हर ओर होती है उसी तरह भोर के समय आज भी प्रभात फेरी, व्यायाम का चलन देखने को मिल ही जाता है। किसने सोचा था भारतीय योग को विश्वस्तर पर मान्यता मिल जाएगी। लेकिन अपने जुनून के पक्के और सबके स्वास्थ्य का ध्यान रखने का सरल, सुलभ उपाय ‘योग’ को मान्यता देने के लिए देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो पहल की है वह इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है और समूचे विश्व मे मान्यता मिली है।
भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री मोदी ने सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था। अपने भाषण के दौरान उन्होंने प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था। उसके बाद अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना के लिए मसौदा प्रस्ताव भारत द्वारा प्रस्तावित किया गया था। प्रस्ताव में “व्यक्तियों और आबादी के लिए स्वस्थ विकल्प चुनने और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाली जीवनशैली अपनाने के महत्व” पर ध्यान दिया गया। बता दें कि रिकॉर्ड 175 सदस्य देशों द्वारा इसका समर्थन किया गया था। इसकी सार्वभौमिक अपील को मान्यता देते हुए, 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र ने संकल्प 69/131 द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया। वहीं, योग को वर्ष 2016 में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उद्देश्य योग अभ्यास के अनेक लाभों के बारे में विश्व भर में जागरूकता बढ़ाना है। 21 जून की एक खासियत है कि यह वर्ष के 365 दिन में सबसे लंबा दिन होता है और योग के निरंतर अभ्यास से व्यक्ति को लंबा जीवन मिलता है। इसलिए इस दिन को योग दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया गया। आज यह विश्व भर में विभिन्न रूपों में प्रचलित है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ रही है।
आज विश्व में जिस तेजी के साथ अलग-अलग बीमारियों, अवसादों से आम से लेकर खास तक घिरे हैं। ऐसे में योग, स्वस्थ रहने का एक वैकल्पिक साधन बन चुका है। करोड़ों लोग योग को अपनाए हुए हैं। योग तन और मन को स्वस्थ करने के साथ मन को सुकून देने का, सकारात्मक सोच-विचार को बल देने में भी सहायक साबित हो रहे हैं। तनाव से बचने के लिए जहाँ अलग- अलग स्वरूप हैं तो ऐसे में योग के उपाय व माध्यम से निजात दिलाने में भी कारगर साबित हुए हैं।
चरक संहिता से लेकर पतंजलि तक और आधुनिक सभ्यता ने भी योग के महत्व को प्रतिपादित किया है। पतञ्जलि योग दर्शन’ गणतीय भाषा में एवं सूत्रात्मक शैली में रचित, सृष्टि का एक अद्वितीय, यौगिक विज्ञान का विस्मयकारी ग्रंथ है, जिसमें मनुष्य के प्राण से लेकर महाप्राण तक की अंतर्यात्रा, मृण्मय से चिन्मय तक जाने का यौगिक ज्ञान, मूलाधार से सहस्रार तक ब्रह्मैक्य का आंतरिक ज्ञान, मर्म और दर्शन समाहित है।
पतंजलि ने अपने योग सूत्र में योग के अष्टांग योग को स्पष्ट किया है। यम और नियम, आसन, प्राणायाम और ध्यान सहित ये अंग, योग के अभ्यास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, जो न केवल भौतिक शरीर बल्कि मन और आत्मा को भी एक तेज व सकारात्मक ऊर्जा देती है। इसी तरह आयुर्वेद का अंतिम उद्देश्य दर्शन यानी मोक्ष प्राप्ति के समान ही है। आचार्य चरक कहते हैं कि “योगमोक्ष प्रवर्तक” अर्थात योग मोक्ष प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण मार्गों में से एक है। योग का विस्तृत विवरण योग दर्शन द्वारा दिया गया है। आयुर्वेद और योग दर्शन अपने मूल सिद्धांतों में बहुत समानता रखते हैं।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 21 जून यानी योग दिवस पूरे उल्लास के साथ मनाने का निर्णय लिया है साथ ही सभी वर्गों को योग अपनाने के लिए अपील की है ताकि देश व प्रदेश का हर वर्ग के व्यक्ति अपने जीवनशैली में योग को अपनाए। योग से जहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा, तन स्वस्थ होगा तो मन सशक्त भी होगा।
-एलडी मानिकपुरी (सहायक जनसंपर्क अधिकारी)
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