Mohini Ekadashi 2021 : मोहिनी एकादशी पर जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और कथा

वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि इसी दिन श्रीहरि ने समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए मोहिनी का रूप धारण किया था. इसलिए इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है.

मान्यता है कि मोहनी एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के पापों का अंत होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. धीरे-धीरे व्यक्ति मोहजाल से मुक्त होकर मोक्ष की राह की ओर अग्रसर होने लगता है. इस बार मोहिनी एकादशी 22 मई को पड़ रही है. जानिए इस व्रत से जुड़ी खास बातें.

शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ : 22 मई 2021 को सुबह 09ः15 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त : 23 मई 2021 को सुबह 06ः42 बजे तक
पारणा मुहूर्त : 24 मई सुबह 05ः26 बजे से सुबह 08ः10 बजे तक

व्रत विधि

व्रत रहने वाले व्यक्ति के लिए इसके नियम व्रत की एक रात पहले से ही शुरू हो जाते हैं. दशमी तिथि के दिन सात्विक भोजन करें. भोग-विलास की भावना त्यागकर भगवान विष्णु का स्मरण करें. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान नारायण का विधि विधान से पूजन करें. उन्हें चंदन, अक्षत, पंचामृत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और फल चढ़ाएं. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और मोहिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ें. इसके बाद आरती करके क्षमा याचना करें. दिन भर व्रत नियमों का पालन करें और अगले दिन व्रत का पारण करें. एकादशी के दिन गीता का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है.

ये है कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच जब समुद्र मंथन हुआ तो मंथन के दौरान अमृत से भरा कलश निकला. इस कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच झगड़ा होने लगा कि कौन पहले अमृत पिएगा. दोनों के बीच युद्ध की स्थिति आ गई. तभी भगवान विष्णु मोहिनी नामक सुंदर स्त्री का रूप लेकर प्रकट हुए और दैत्यों से अमृत कलश लेकर सारा अमृत देवताओं को पिला दिया. इससे देवता अमर हो गए. मान्यता है कि जिस दिन भगवान नारायण ने ये रूप धारण किया था, उस दिन वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन था. तब से इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाने लगा और इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा की जाने लगी.