KORBA: मासूम प्रखर का ब्रेन डेड, अब तक 17 लोगों को मिली नई जिंदगी

कोरबा, 08 जून । प्रदेश में पहली बार बच्चे का अंगदान किया गया है। 11 साल के प्रखर साहू पिछले पांच दिनों से रामकृष्ण केयर हास्पिटल में भर्ती थे। उन्हें खेलते वक्त सिर पर चोट लगने की वजह से भर्ती कराया गया था। उनकी माता मंजू साहू और पिता रमेश साहू एक जून से अपने बच्चे के ठीक होने का इंतजार कर रहे थे।

मगर सिर पर गहरी चोट होने की वजह से पांच जून 2024 को कोरबा के छत्तीसगढ़ विद्युत उत्पादन कंपनी के कोरबा पश्चिम कालोनी में रहने वाले प्रखर को ब्रेन डेड घोषित किया गया। इसके बाद उनके माता-पिता ने उसके अंगदान का निर्णय लिया, जिसकी वजह से प्रखर मृत होने के बाद भी दूसरों के शरीर में जिंदा रहेगा। दरअसल, प्रखर कक्षा सातवीं में पढ़ता था। उसे फुटबाल खेलने का बहुत शौक था। हाल ही में दोस्तों के साथ फुटबाल खेलते-खेलते उसके सिर पर गहरी चोट आई थी। पिता रमेश साहू हसदेव ताप विद्युत संयंत्र कोरबा पश्चिम (एचटीपीपी) में इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। ब्रेन डेड होने की वजह से ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर उमाशंकर मिश्रा और डा निकिता श्रीवास्तव ने प्रखर के माता- पिता को अंगदान का सुझाव दिया। प्रखर के माता पिता ने अपने बच्चे के अंगों एवं उत्तक (किडनी, लिवर, कार्निया और हार्ट वाल्व) का दान करने का फैसला लिया।

बाल्य मृतक का अंगदान का पहला मामला

प्रदेश में अब तक सात मृतकों के अंगदान किए जा चुके हैं, जिससे अब तक 17 लोगों को नई जिंदगी मिल चुकी है। इसमें 13 किडनी और चार लिवर शामिल हैं। प्रखर इस कड़ी में आठवां है, मगर छत्तीसगढ़ में बाल्य मृतक अंगदान में पहला बच्चा है। प्रखर का लिवर और एक किडनी रामकृष्ण केयर हास्पिटल को सौंपा गई है एवं एक किडनी एम्स रायपुर को। कार्निया डा. भीमराव आंबेडकर मेमोरियल हास्पिटल तथा हार्ट वाल्व सत्य साई हास्पिटल नवा रायपुर को दिया गया। रामकृष्ण के डाक्टरों की टीम ने बहुत सावधानी से 66 वर्षीय पुरुष में लिवर और 43 वर्षीय महिला में किडनी प्रत्यारोपित की। वहीं, किडनी एम्स रायपुर में 10 साल के बच्चे में लगाया।

अंगदान के लिए होंगे प्रेरित


इस अंगदान से बहुत से लोगों में हिम्मत बंधी है और सभी इसे नए सुनहरे भविष्य की तरह देख रहे हैं। अंगदान के लिए प्रेरित करने वाले संस्था सोट्टो के निदेशक प्रोफेसर डा विनीत जैन इस घटना को मील के पत्थर के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है की यदि छोटे बच्चों के माता पिता औरों के भविष्य के बेहतर प्रयास में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं, तो इनसे प्रेरणा लेकर और लोग भी अंगदान के लिए आगे आएंगे और हमारे देश में जो अंगों की जरूरत का आंकड़ा है उसे पूरा करने में सहायता करेंगे।

शास्त्रीय संगीत में थी गहरी रूचि

प्रखर कक्षा सातवीं का छात्र था और पढ़ाई के साथ खेलकूद में भी भाग लेता था। यही नहीं शास्त्रीय संगीत में भी गहरी रुचि रखता था। उसने अखिल भारतीय गांधर्व महा- विद्यालय मंडल मुंबई से संबह सैस्था श्रीगणेश संगीत कलानिकेतन विद्युत्त नगर दर्री के कला गुरु गणेश बरेठ से शास्त्रीय गायन में मध्यमा पूर्ण की शिक्षा ले रहा था