बिजली विभाग और पुलिस प्रशासन एक दूसरे पर थोप रहे कार्यवाही
खैरागढ़, 08 जून । शहर के कलेक्टर बंगले के सामनें ट्रांसफार्मर शिफ्टिंग के दौरान करंट से आदिवासी युवक के मौत के मामले में अब बिजली विभाग सहित पुलिस प्रशासन इसे ठंडे बस्ते में डालकर अधिकारियों और ठेकेदार को बचाने में जुट गया है। हादसे के बाद दबाव में मौके पर मौजूद रहे एई संदीप सोनी को तो निलंबित कर दिया गया है। लेकिन मामले में अन्य जिम्मेदारों पर कार्यवाही की बजाय उन्हे बचाने का खेल जारी है। मामले में विद्युत मंडल के शहर जेई सत्यम शर्मा और मृतक ठेका कर्मी संतोष मंडावी से काम कराने वाले ठेकेदार पर कार्यवाही रोकने बड़ा खेल किया जा रहा है। 25 मई को हुए हादसे के बाद से अब तक बाकी पर कार्यवाही नहीं की गई है। पुलिस ने मामले में अब तक जिम्मेदार पर एफआईआर दर्ज नहीं की है तो बिजली विभाग की जांच भी शुरू नहीं हो पाई है। जानकारी लेने पर बिजली विभाग और पुलिस प्रशासन कार्यवाही में एक दूसरे पर जांच रिर्पोट नहीं मिलने का हवाला देकर मामला थोपते नजर आए ।
जेई ने दी थी लाइन बंद करने की जानकारी
25 मई को शहर के कालेज फीडर बंद कर मरम्मत कार्य किया जाना था। इस दौरान कलेक्टर बंगले के सामने स्थित ट्रांसफार्मर को भी शिप्ट किए जाने की कार्यवाही की जानी थी। हालंकि बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मरम्मत के दौरान इस तरह की कार्यवाही नही होनी चाहिए थी। लेकिन मौके पर एवं संदीप सोनी ने कर्मचारियों की कमी का हवाला देकर ठेकेदार एचडी शर्मा से उनके ठेका कर्मी मांगे और कार्य शुरू कराया। इस दौरान शहर जेई सत्यम शर्मा ने उस ट्रांसफार्मर की पूरी लाइन बंद होने की जानकारी दी जिसके बाद ठेका कर्मों को बिना सुरक्षा मानकों के सीधे ट्रांसफार्मर में चढ़ाया गया। लेकिन वहाँ एक लाइन चालू होने के चलते ठेका कर्मी संतोष मंडावी करंट की चपेट में आ गया और नीचे गिरकर उसकी मौत हो गई। मामले को बदलने पहले विद्युत मंडल करंट नहीं होने का हवाला देते रहा। लेकिन मृतक के पीएम रिपोर्ट में करंट लगने से मौत की पुष्टि चिकित्सकों द्वारा किए जाने के बाद अब एई को निलंबित कर बाकी मामले को रफादफा करने का प्रयास जारी है।
बिना सुरक्षा उपकरण के ठेकेदार करवा रहा था काम
हादसे में ठेकेदार के ठेका कर्मचारी भी बिना किसी सुरक्षा मानको के ही काम कर रहा था। अधिकारियों के मांग पर ठेकेदार ने ठेकाकर्मी को काम पर भेज दिया। लेकिन कार्य के दौरान बरती जाने वाली सुरक्षा और उससे संबंधित उपकरण किसी भी ठेका कर्मों के पास उपलब्ध नहीं था। ये सीधेसीधे ठेकेदार की लापरवाही को दर्शाता है। करंट से मौत के बाद ठेकेदार ने सारी जवाबदारी विभागीय अधिकारी पर डाल कर अपने आप को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि सबसे बड़ी लापरवाही ठेकेदार की सामने आई है। बताया गया कि मामले में कार्यवाही से बचने ठेकेदार के आदमी पुलिस और बिजली विभाग के रोजाना चक्कर लगाकर हादसे में पाक साफ बचने एड़ोचोटी एक करने में जुटे है। इधर पुलिस विभाग भी हादसे के दस दिन बार मामले में एफआईआर नहीं कर पाई है।
एक दूसरे पर थोप रहे जवाबदारी
करंट से मौत के मामले में पुलिस और बिजली विभाग एक दूसरे पर कार्यवाही की जानकारी नहीं मिलने का हवाला देकर मामले को दवा कर बैठ गए है। पुलिस प्रशासन मामले में बिजली विभाग से हादसे का जांच प्रतिवेदन नहीं आने का हवाला देकर एफआईआर नहीं होना बता रहा है। तो दूसरी और बिजली विभाग पुलिस विभाग से मर्ग कायम की सूचना और पीएम रिपॉट नहीं मिलने के कारण जांच अटकना बता रहा है। दोनो विभाग एक दूसरे से रिर्पोट नहीं मिलने के चलते कार्यवाही से बच रहे है।
एफआईआर नहीं हुआ है। बिजली विभाग से विभागीय जांच रिर्पोट मांगी गई है। जिस आधार पर ही कार्यवाही कर एफआईआर दर्ज होगी ।
- प्रतिभा लहरे, थाना प्रभारी खैरागढ़
थाने से हादसे की मर्ग कायम सूचना पीएम रिर्पोट मांगी गई है जिसके आधार पर जांच कार्यवाही होगी। थाने में जानकारी के बाद भी अब तक रिर्पोट नहीं दी है।
- छगन शर्मा ईई छगविमं खैरागढ़
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