भानुप्रतापपुर, 03 जून । 21वीं सदी में जब दशकों पुरानी परंपरा के तहत बैलगाड़ी पर सवार होकर दूल्हा अपनी दुल्हनियां को लेने पहुंचा तो सभी हैरान रह गए। भानुप्रतापपुर विकासखंड के घोड़ाबत्तर गांव का दूल्हा बैलगाड़ी पर सवार होकर बारातियों के साथ अपनी दुल्हन लेने गांव पहुंचा। इस बारात में गांव के प्रमुख गायता, पटेल और गांव के समस्त ग्रामवासी शामिल थे। दुल्हन का घर दूल्हे के घर गांव से लगे किसी कुछ दूरी पर । सभी बाराती दूल्हे के संग नाचते-गाते दुल्हन के सैकडो बाराती बारात मे सम्मलित हुऐ।
भानुप्रतापपुर ब्लाक के गांव घोड़ाबत्तर के रहने वाले लक्छु राम दुग्गा के पुत्र जयलाल दुग्गा की अनोखी शादी की पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना है। बारात को देखने के लिए सड़कों पर भीड़ उमड़ पड़ी। दूल्हे के लिए बैलगाड़ी को आकर्षक तरीके से सजाया-संवारा गया था।
*दूल्हा जयलाल दुग्गा बारात लेकर गांव से करीब लगे गांव के गुडरा पारा घोड़ाबत्तर की बेटी संतोषी जुर्री से शादी करने पहुंचे। बैलगाड़ी के रथवान गांव के ही रामदयाल गावड़े को बनाया गया। बैलगाड़ी पर सवार दूल्हे को देखने के लिए लोग उत्सुक नजर आए। दुल्हन के घर पहुंचने पर बारातियों का स्वागत पारंपरिक रीति-रिवाज से किया गया। बारात निकलने के पहले बैलगाड़ी को आकर्षक रंगों से सजाया गया ।
दूल्हा ने कहा कि अपनी संस्कृति और पारंपरिक रीति-रिवाज को जीवित रखना जरूरी है। संस्कृति ही सभी की पहचान है। उसी संस्कृति और पहचान को आज के आधुनिक युग में बनाए रखने के लिए बैलगाड़ी पर सवार होकर दुल्हन लाने से बढ़िया और कुछ नहीं। दुल्हन संतोषी जुर्री ने अपने दूल्हे जयलाल के साथ खुशी-खुशी बैलगाड़ी पर सवार होकर अपने ससुराल आई।
गांव के बिमला नेताम ने बताया कि ईस अनोखी शादी मे अपनी विलुप्त होती संस्कृति का परिचय एंव पारंपरिक रीति-रिवाज को बचाने के लिए आगे आ रहे हैं। यह काफी सराहनीय प्रयास है। बड़े गौरव की बात है। एक तरफ जहां आधुनिक युग में शादी को लेकर तामम, खर्चा बढ़ जाता है, तो एक ओर फिजूल खर्चा रोक अपनी परंपरा को जीवित रखने आज के युवा के लिए एक समाज मे एक अच्छा संदेश दिया है। ईस आधुनिक युग मे भी अपनी संस्कृति और परम्परा को भूलने से बचाने का प्रयास किया जा रहे है।
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