प्रयागराज में गंगा तट पर अवस्थित ऐतिहासिक वृक्ष ‘बाओबाब’ पर पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने जारी किया विशेष आवरण

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर अवस्थित ‘बाओबाब वृक्ष’ की आयु 750 से 1350 वर्ष के बीच, अफ्रीका के एडानसोनिया डिजिटाटा प्रजाति का दुर्लभ वृक्ष

प्रयागराज में गंगा तट पर अवस्थित ऐतिहासिक व दुर्लभ वृक्ष ‘बाओबाब’ अब विशेष डाक आवरण पर

‘बाओबाब वृक्ष’ पर विशेष डाक आवरण से इसकी ऐतिहासिकता, वैज्ञानिकता व औषधीय गुणों के बारे में देश-दुनिया में होगा प्रसार- पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

लखनऊ, 30 मई। अपनी विरासत को समृद्ध करने एवं पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन देने के क्रम में वाराणसी एवं प्रयागराज परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने प्रयागराज प्रधान डाकघर में 30 मई को आयोजित समारोह में ‘बाओबाब वृक्ष’ पर एक विशेष आवरण व विरूपण का विमोचन किया। प्रयागराज के झूंसी में पवित्र गंगा नदी तट पर अवस्थित शेख तकी की मजार के पास मौजूद इस ऐतिहासिक दुर्लभ वृक्ष की आयु 750 से 1350 वर्ष के बीच मानी जाती है और इसके साथ तमाम किवदंतियां और लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। समारोह में निदेशक डाक सेवाएं श्री गौरव श्रीवास्तव और प्रवर अधीक्षक डाकघर श्री अभिषेक श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे।


पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि प्रयागराज और यहाँ का संगम तट सदियों से अपने अंदर तमाम पौराणिक, ऐतिहासिक और समृद्ध विरासतों को सहेजे हुए है। अफ्रीका के एडानसोनिया डिजिटाटा प्रजाति का ‘बाओबाब वृक्ष’ भी उनमें से एक है। ऐसे में इस पर विशेष डाक आवरण और विरूपण के माध्यम से इसकी ऐतिहासिकता, वैज्ञानिकता और औषधीय गुणों के बारे में देश-दुनिया में प्रसार होगा और इसे शोध और पर्यटन से भी जोड़ने में सुविधा होगी। श्री यादव ने कहा कि झूंसी में पवित्र नदी गंगा के बाएं किनारे पर मिट्टी के एक विशाल टीले पर स्थित इस प्राचीन व विशाल वृक्ष को लेकर सदियों से कौतुहल रहा है, जनश्रुति में इसे ‘विलायती इमली’ भी कहा जाता है। गौरतलब है कि झूंसी क्षेत्र का अतीत पुरातात्विक साक्ष्यों द्वारा प्रलेखित है जो ताम्रपाषाण काल ​​से लेकर प्रारंभिक मध्ययुगीन काल तक के पांच सांस्कृतिक चरणों से मेल खाता है।
निदेशक डाक सेवाएं गौरव श्रीवास्तव ने बताया कि ‘बाओबाब’ वृक्ष के तने की मोटाई 17.3 मीटर है और इस वृक्ष का फूल बड़ा तथा फल लंबा और हरे रंग का होता है। ऐसी मान्यता है कि 15वीं शताब्दी में करांची से आए बाबा शेख़ तकी शाह यहाँ रहते थे। इस वृक्ष की छाल को पानी में भिगोकर पीने से पेट का दर्द, सीने की जलन कम होती है, साथ ही यूरिन इन्फेक्शन में भी छाल को लाभकारी माना जाता है प्रवर अधीक्षक डाकघर अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि बाओबाब वृक्ष पर जारी उक्त विशेष आवरण मय विरूपण 25 रुपए में फिलेटलिक ब्यूरो, प्रयागराज प्रधान डाकघर में उपलब्ध होगा।


इस अवसर पर सीनियर पोस्टमास्टर तनवीर अहमद, सहायक निदेशक मासूम रजा रश्दी, राजेश श्रीवास्तव, उपाधीक्षक प्रमिला यादव सहित तमाम अधिकारी-कर्मचारी और फ़िलेटलिस्ट उपस्थित रहे।

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