प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कन्याकुमारी में तीन दिवसीय ध्यान अवकाश विपक्ष को रास नहीं आया है. कांग्रेस ने इसे लेकर बुधवार को चुनाव आयोग से शिकायत की है. उसका कहना है कि पीएम का यह कदम आदर्श आचार संहिता का “उल्लंघन” है. दिल्ली में चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमने चुनाव आयोग से कहा कि 48 घंटे की मौन अवधि के दौरान किसी को भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रचार करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए.
हालांकि, सिंघवी ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस किसी नेता के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा,’पीएम का ध्यान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होगा क्योंकि मौन अवधि 30 मई को सुबह 7 बजे से एक जून तक होगी.’ सिंघवी ने टिप्पणी करते हुए कहा, ये पीएम द्वारा या तो चुनाव प्रचार जारी रखने या खुद को सुर्खियों में बनाए रखने’ की एक रणनीति है.
बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिरों का दौरा किया था
उन्होंने कहा, ‘हमने चुनाव आयोग से कहा है कि प्रधानमंत्री को अपना मौन व्रत 24-48 घंटे यानी एक जून की शाम तक के लिए स्थगित कर देना चाहिए. अगर वह इसे कल से आरंभ करने पर जोर देते हैं, तो मीडिया को इसे टेलीकास्ट करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि 2019 में भी, प्रधानमंत्री मोदी ने उस वर्ष के लोकसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा से पहले बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिरों का दौरा किया था, जब वह लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए थे.
सातवें और अंतिम चरण के लिए वोटिंग बाकी
पीएम मोदी वाराणसी से जीत की हैट्रिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं. यहां से पीएम ने 2014 में अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा. उत्तर प्रदेश में इस निर्वाचन क्षेत्र में शनिवार को सातवें और अंतिम चरण के लिए वोटिंग होनी है. लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आने वाले हैं. वहीं सातवें चरण के लिए गुरुवार शाम पांच बजे तक चुनाव प्रचार थम जाएगा.
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