अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में पहली बार जीपीएस टैग वाला प्रवासी पक्षी कैमरे में कैद हुआ है। व्हिम्ब्रेल पक्षी को बेमेतरा जिले के बेरला के पास जलाशय में देखा गया है। अंबिकापुर के पक्षी प्रेमी डा हिमांशु गुप्ता के साथ रायपुर के जागेश्वर वर्मा और अविनाश भोई की टीम ने इसकी फोटोग्राफी की है। भारत के शोधकर्ताओं, विज्ञानियों और पक्षी प्रेमियों के साथ ई बर्ड से जुड़े लोगों के सहयोग से यह कार्य हुआ है।
यह पक्षी कई महासागर और महाद्वीप को पार करने में माहिर है। व्हिंब्रेल पक्षी घुमावदार चोंच और धारीदार सिर के साथ आसानी से शिकार कर लेता है। पानी के आसपास पाए जाने वाले सभी कीड़े मकोड़े इसका आहार होते हैं। इसके प्रवास और पसंदीदा क्षेत्र को सैटेलाइट टैगिंग की मदद से पड़ताल किया जा रहा है।
छत्तीसगढ में प्रवासी पक्षियों के अध्ययन में जीपीएस टैगिंग वाला व्हिम्ब्रेल पक्षी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसमें पीले रंग का टैग लगा हुआ है। पक्षी प्रेमियों का मानना ही कि जियो टैगिंग से प्रवासी पक्षी के भ्रमण काल, क्षेत्र, पसंदीदा वातावरण का अध्ययन करने में मदद मिलेगी। प्रवासी पक्षियों पर टैगिंग से जलवायु परिवर्तन पर शोध करने में भी मदद मिलती है।
टैगिंग के बाद फोटोग्राफिक रिकार्ड पहली बार छत्तीसगढ़ में
जियो टैग किए गए पक्षी पहले भी भारत में देखे गए हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के लिए यह पहला है। मेडागास्कर के पास ला रीयूनियन में टैग किए जाने के बाद इस पक्षी का संभवतः पहला फोटोग्राफिक रिकार्ड छत्तीसगढ़ में ही हुआ है टैग किए जाने के बाद भारत में पहली बार यह पक्षी देखा गया है। 18 मई को यह कैमरे में कैद हुआ है।
पक्षी का नाम दिया गया है मेरलीन
पक्षी प्रेमी व कैंसर विशेषज्ञ डा हिमांशु गुप्ता ने बताया कि इस पक्षी का नाम मेरलीन दिया गया है।यूनिवर्सिटी डे, ला रीयूनियन के प्रोफेसर मैथ्यू लेकोरे द्वारा इसकी टैगिंग की गई है। खोज एजेंसी फ्रांसीसी जैव विविधता कार्यालय, रीयूनियन द्वीप समूह, मेडागास्कर है। प्रोजेक्ट का नाम लिमोईयो है। यह पश्चिमी हिंद महासागर के प्रवासी जलचरों की पारिस्थितिकी और संरक्षण के लिए एक फ्रांसीसी संक्षिप्त शब्द है।
सात मार्च को हुई है टैगिंग, कई देशों से होते हुए पहुंचा है भारत में
डा हिमांशु गुप्ता ने बताया कि इस पक्षी को सबसे पहले 16 नवंबर को इसके शीतकालीन प्रवास स्थल रीयूनियन द्वीप पर पकड़ा गया था। इस दिन पक्षियों को अंगूठी पहनाई गई थी। इसे सात मार्च को दोबारा तैयार किया गया और जीपीएस टैगिंग की गई। पक्षी 22 मार्च तक री यूनियन में रहा, फिर उसने मॉरीशस की ओर उड़ान भरी जो केवल 200 किमी दूर है।
यह 13 अप्रैल को मॉरिशस से रवाना हुआ और उत्तर की ओर हिंद महासागर को पार कर गया। यह 16 अप्रैल को यमन के पास सोकोट्रा द्वीप पर पहुंचा। इसके बाद दो मई को इसने फिर से उत्तर की ओर उड़ान भरी। यह चार मई को पाकिस्तान पहुंचा।
यह सिंधु डेल्टा पर 10 दिनों तक खड़ा रहा और फिर पूर्व की ओर उड़ गया। यह बालाघाट मध्य प्रदेश तक पहुंचा और 17 मई तक वहां दर्ज किया गया। इसके बाद यह छत्तीसगढ़ की झील में चला गया जहां यह अब है। यह पक्षी अपने प्रजनन स्थल की ओर जा रहा है, जो उत्तरी साइबेरिया में कहीं होना चाहिए।
उम्मीद है फिर आएगा : डा हिमांशु गुप्ता
पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए लंबे समय से कार्य कर रहे डा हिमांशु गुप्ता ने बताया कि सैटेलाइट के माध्यम से इस पक्षी का अध्ययन जारी है। यह जानने का प्रयास किया जा रहा है कि यह पक्षी प्रजनन के लिए कहां जाता है। उम्मीद कि यह फिर से छत्तीसगढ़ वापस आएगा। छत्तीसगढ़ को प्रवासी पक्षियों के लिए एक सुरक्षित स्थल बनाया जा सकता है। इसके लिए जल निकायों को संरक्षित रखने की आवश्यकता है।
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