कत्थक गुरू रामलाल बरेठ की कला साधना को राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान, पद्मश्री से नवाजा गया

बिलासपुर, 14 मई । रायगढ़ घराने के प्रसिद्ध कत्थक गुरू रामलाल बरेठ की कलासाधना को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। नौ मई को उन्हे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के हाथों देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा गया। पद्मश्री पुरस्कार मिलने से रायगढ़ और बिलासपुरवासियों में खुशी की लहर है, वहीं परिवार ने इसे वर्षों की कलासाधना का सम्मान बताया। रामलाल बरेठ अपनी कला को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है, और छत्तीसगढ़ में चक्रधर कलाकेन्द्र की स्थापना किए जाने की उन्होंने बात कही।

देश के तीसरे बड़े नागरिक सम्मान से नवाजे जाने के बाद रामलाल बरेठ बिलासपुर के मंगला स्थित अपने निवास पहुंचे जहां उनसे मिलने शुभचिंतकों का तांता लगा रहा। रामलाल बरेठ का जन्म जांजगीर चांपा जिले के भुंवरमाल गांव में हुआ, यहां से उनके पिता उन्हे रायगढ़ राजघराने ले गए। कई दशकों से रायगढ़ राजघराने में कत्थक नर्तक और गुरू रामलाल जी ने अपनी कला यात्रा के बारे में चर्चा की और पद्मश्री पुरस्कार से नवाजे जाने पर खुशी जाहिर करते हुए अपने अनुभव साझा किए उन्होंने कहा कि उनकी वर्षो की साधना को मिले सम्मान से उत्साहित है और कला के संर्वधन के प्रति उनका कार्य जारी रहेगा।

बरेठ को पद्मश्री पुरस्कार मिलने से उनके परिवार में खुशी की लहर है। उनकी पत्नी मथुरा बरेठ, बेटी मीना सोन और बहू चुनौती बरेठ ने खुशी जताते हुए कहा कि वर्षो की तपस्या को मिले सम्मान से परिवार उत्साहित है और उनकी परंपरा को आगे बढ़ाने में परिवार अपनी भूमिका निभा रहा है। परिवार की चौथी पीढ़ी भी बरेठ की कला को आगे ले जा रही है। बरेठ के पोते अस्वरित और मलयराज बरेठ ने कहा कि वे अपने दादाजी की नृत्य परंपरा को आगे बढ़ा रहे है।

इसलिए पद्म श्री से किया गया सम्मानित

उल्लेखनीय है कि रामलाल बरेठ रायगढ़ राजदरबार के एक मात्र जीवित कत्थक नर्तक हैं। रायगढ़ कत्थक शैली को लोकप्रिय बनाने, रायगढ़ को कत्थक घराना के रूप में स्थापित करने और कत्थक नृत्य के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हे पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया। उनके बड़े बेटे भूपेन्द्र बरेठ पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे है, और नई पीढ़ी को नृत्य केन्द्र के माध्यम से कत्थक नृत्य कला सिखा रहे है।

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