Bilaspur : अचानकमार टाइगर रिजर्व में राष्ट्रीय तितली ‘ऑरेंज ऑकलीफ’, छत्तीसगढ़ के जंगलों में 2 और दुर्लभ प्रजाति की तितलियां

बिलासपुर जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व में राष्ट्रीय तितली ऑरेंज ऑकलीफ​​​​ पाई जाती है। इसके सहित छत्तीसगढ़ के जंगलों में दो और दुर्लभ प्रजाति की तितलियां कॉमन नवाब और कॉमन जेजबेल पाई जाती है। विशेष तरह की ये तितलियां एटीआर समेत बस्तर, सरगुजा के वनों में पाई जाती है।

दिलचस्प बात ये है कि साल 2020 तक भारत की कोई राष्ट्रीय तितली चिन्हित नहीं की गई थी, लेकिन 2021 में देशभर में पाई जाने वाली 1500 विभिन्न प्रजाति की तितलियों में से 7 को राष्ट्रीय तितली चयनित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया। इसमें 60 हजार से अधिक वोटों से ऑरेंज ऑकलीफ को राष्ट्रीय तितली घोषित किया गया।

देखिए कैसे पत्ती नजर आने वाली यह राष्ट्रीय तितली आरेंज ऑकलीफ है, जिसके नीचे केवल उसके पैर नजर आ रहे हैं।

देखिए कैसे पत्ती नजर आने वाली यह राष्ट्रीय तितली आरेंज ऑकलीफ है, जिसके नीचे केवल उसके पैर नजर आ रहे हैं।

राष्ट्रीय तितली एटीआर, भोरमदेव, बस्तर, सरगुजा के जंगलों में मिली

राष्ट्रीय तितली ‘ऑरेंज ऑकलीफ’ छत्तीसगढ़ के चुनिंदा वन क्षेत्रों खासकर बस्तर, सरगुजा के अलावा कवर्धा जिले के भोरमदेव वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में रिकॉर्ड की गई है। वाइल्ड लाइफ फोटो जर्नलिस्ट सत्यप्रकाश पांडेय के मुताबिक मुंगेली जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ऑरेंज ऑकलीफ तितली की संख्या काफी है, जो यहां की प्रतिकूल जलवायु का परिणाम है।

तितलियों की दुर्लभ और सामान्य प्रजातियों के लिए राज्य का अचानकमार टाइगर रिजर्व काफी सम्पन्न दिखाई देता है। यहां तितलियों की दुर्लभ प्रजातियों में ऑरेंज ऑकलीफ के अलावा कॉमन मैप, ब्लू मॉरमॉन, बैंडेड पीकॉक जैसी कई तितलियां पाई जाती हैं।

वेश बदलने में माहिर है ऑरेंज ऑकलीफ

वाइल्ड लाइफ फोटो जर्नलिस्ट सत्यप्रकाश पांडेय ने बताया कि राष्ट्रीय तितली ऑरेंज ऑकलीफ को ‘द डेथ लीफ’ भी कहा जाता है। तितली के पंख रंग के मुताबिक मृत पत्ती की तरह नजर आते हैं। उन्होंने बताया कि यह तितली छलावरण में माहिर है। जब इसके पंख बंद हो जाते हैं, तो यह रंग और आकार दोनों में एक मृत पत्ते की तरह दिखाई देती है। यह शिकारियों से छिपने के साधन के रूप में इस वेश का उपयोग करती है और जब ये किसी पेड़ या पत्तों के कूड़े के बीच जमीन पर होती है, तो इसे पहचानना बेहद मुश्किल होता है।

तितली के पैर का हिस्सा इस चित्र में थोड़ा और अधिक स्पष्ट है, जिससे कह सकते हैं कि यह पत्ती नहीं है, बल्कि तितली है।

तितली के पैर का हिस्सा इस चित्र में थोड़ा और अधिक स्पष्ट है, जिससे कह सकते हैं कि यह पत्ती नहीं है, बल्कि तितली है।

शिकारियों से बचने बदलती है रंग

वाइल्ड लाइफ फोटो जर्नलिस्ट ने अपने अनुभव के आधार पर बताया कि ऑरेंज ऑकलीफ के रंग में अंतर होता है और पंखों के नीचे का रहस्यमय पैटर्न एक तितली से दूसरी तितली में बहुत अलग होता है। जिससे शिकारियों के लिए इसे पहचानना और भी कठिन हो जाता है। इसकी नसें अक्सर गहरे रंग की होती हैं और पत्ती के केंद्रीय तने और शिराओं जैसी होती हैं।

हालांकि इस रणनीति में एक खामी है। जब ये तितली धूप का आनंद लेने का फैसला लेती है और अपने पंख खोलती है, तो उसके ऊपरी पंखों पर अधिक चमकीले रंगों के कारण वह छिप नहीं पाती है। इसका परिणाम ये होता है कि इस प्रजाति पर नियमित रूप से विशेषकर पक्षियों द्वारा हमला किया जाता है।

जानिए एटीआर में कितने तरह की हैं तितलियां

अचानकमार टाइगर रिजर्व में असाधारण ऑरेंज ऑकलीफ सहित 50 से अधिक तरह की तितलियां पाई जाती हैं। यह अचानकमार-अमरकंटक बायोस्फियर रिजर्व में प्रमुखता से पाई जाती है। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद जबलपुर ने इसकी सचित्र पुस्तिका भी प्रकाशित की है, जो शोध छात्रों के अध्ययन के लिए लाभकारी है।

50 तरह की अनूठी तितलियों के परिवार की एटीआर में मौजूदगी इस बात का प्रमाण दे रही है कि उसके अनुकूल जंगल की आबोहवा है। अचानकमार टाइगर रिजर्व में बड़ी संख्या में मौजूद तितलियों को देखना और कुदरत के करिश्मे को करीब से महसूस करना किसी अजूबे से कम नहीं होता।

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