जिनका मन भगवान के चरणाबिंदुओं में लग गया, भगवान उसका साथ कभी नहीं छोंड़ते…लोहे के गर्म स्तम्भ से नरसिंह अवतार में प्रकट होकर, हिरण्यकश्यप का वध कर नारायण ने रखी प्रहलाद की अटूट भक्ति की लाज – आचार्य नूतन पांडेय

मुड़ापार में आयोजित संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा महापुराण यज्ञ में उमड़ रही आस्था

कोरबा, 28 अप्रैल। जिनका मन भगवान के चरणाबिंदुओं में लग गया ,उसका मन कभी नहीं भटकता ,भगवान उसका साथ कभी नहीं छोंड़ते । भक्त प्रहलाद की अटूट भक्ति से भगवान विष्णु उसकी रक्षा निमित्त लोहे के गर्म स्तम्भ से नरसिंह अवतार में प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध कर प्रहलाद की सच्ची भक्ति अटूट आस्था ली लाज रखी।

उक्त बातें ग्राम तिलकेजा से पधारे प्रख्यात कथा वक्ता पंडित नूतन कुमार पाण्डेय जी ने रमलीला मैदान मुड़ापार में जय शिवाजी महिला समिति द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा महापुराण यज्ञ के चतुर्थ दिवस प्रहलाद चरित्र नरसिंह अवतार कथा प्रसंग के दौरान कही। आचार्य श्री पांडेय ने उपस्थित श्रोताओं को बताया कि 10 हजार वर्षों तक घनघोर तपस्या कर ब्रम्हा जी से हिरण्यकश्यप ने अमरता की चाह में छल से ऐसे ऐसे वरदान मांग लिए थे जिसे आज तक संसार मे किसी को नहीं मिला। लेकिन जगत के पालनहार नारायण ने उन तमाम दुर्लभ वरदानों का मान रखते हुए तेरहवें माह में नरसिंह का अवतार लेकर असुर हिरण्यकश्यप का वध कर न केवल भक्त प्रहलाद की रक्षा की वरन समूचे संसार को भयमुक्त किया। आचार्य श्री पांडेय ने श्रोताओं से कहा कि जिस पर नदी के पानी पक्षियों द्वारा पी लेने से वो कभी सूखता नहीं कभी कम नहीं होता ,ठीक उसी की भांति दान देने से कभी घटता नहीं जितना दान देंगे उतनी ही परमात्मा की कृपा से धनधान्य में वृद्धि होती जाती है। उपस्थित श्रोताओं को आचार्य श्री पाण्डेय ने कथा प्रसंग के दौरान बताया कि जिस प्रकार ,अग्नि का स्वरूप हर हाल में जलाना है ,मानव का स्वरूप इच्छा हो या अनिच्छा सदैव भगवान का स्मरण करना है ठीक उसी तरह तारणहार का कार्य मानव को तारना है।

आचार्य श्री पांडेय ने श्रोताओं को बताया कि आज के मानव जरा सी गलती पर सजा देने उतारू रहते हैं भगवान ने शिशुपाल के 100 अपराध क्षमा किए थे। इसके बाद भी उसने द्वारिकाधीश का भरे यज्ञ में अपमान किया तो उन्होंने सुदर्शन से उसका संहार किया था। शिशुपाल के शरीर से निकला दिव्य प्रकाश भगवान श्री कृष्ण के चरणों में समाहित हो गया। इसे ही से सांयुज्य मुक्ति कहते हैं।जय विजय भगवान विष्णु के प्रमुख द्वारपाल थे , ऋषियों को भगवान से मिलने नहीं जाने के कारण श्रापित होकर वे तीनों युग सतयुग में हिरण्यकश्यप ,हिरण्याक्ष ,त्रेतायुग में रावण ,कुंभकर्ण एवं द्वापरयुग में शिशुपाल एवं दंतवक्र के रूप में धरती पर महाअसुर के रूप में जन्म लिए। तीनों ही युग में नारायण ने अलग अलग अवतार में इनका वध कर इनका उद्धार किया। नारायण के हाथों ऐसी मृत्यु ही सांयुज्य मुक्ति कहलाती है।आयोजित संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा महापुराण यज्ञ में सहयोगी आचार्य पंडित विनायक पाण्डेय जी एवं भूपेंद्र कुमार पाण्डेय जी के साथ संगीत टीम के शानदार भजन संगीत की प्रस्तुति से भक्तगण मुड़ापारवासी नाचते गाते झूम रहे।

जानें कब क्या होगा

संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा महापुराण यज्ञ के पांचवें दिवस 28 अप्रैल को रामजन्म ,वामन अवतार एवं झाँकीमय कृष्ण जन्मोत्सव होगा। छठवें दिवस की 29 अप्रैल को रूखमणी विवाह 30 अप्रैल को सातवें दिवस सुदामा चरित्र होगा। आठवें दिवस 1 मई को कथा समापन एवं चढ़ोत्तरी होगी एवं 2 मई को तुलसी वर्षा ,हवन ,सहस्त्रधारा ,कपिला तर्पण ,प्रसाद वितरण के साथ कथा का समापन होगा।

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