Janjgir Champa में चुनाव लड़ने मायाराम नट ने पालतू पशु को बेचा, 2001 से हर चुनाव में आजमा रहे किस्मत…

जांजगीर-चाम्पा। जांजगीर चाम्पा लोकसभा चुनाव के लिए अब तक अभ्यर्थी में राष्ट्रीय दल के प्रत्याशी है ही लेंकिन एक प्रत्याशी ऐसा है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है, इसका नाम है मया राम नट, जांजगीर चाम्पा जिले के महंत गाँव में रहने वाला मया राम नट घूमतु समाज से है, और इनकी पीढ़ी बॉस के डांग में करतब दिखाते आ रहे है, जिन्हे नट या डंगचगहा भी कहते है मया राम नट को करतब के लिए तो पहचाना ही जाता है इसके साथ चुनाव लड़ने भी जूनून है I

2001 से शुरू हुआ चुनाव लड़ने का सिलसिला

मया राम नट ने इस बार पामगढ विधानसभा sc रिजर्व सीट से अपना नामांकन भरा है,मया राम ने बताया कि उन्होंने 2001में पंचायत चुनाव लड़ कर पंच बने और जिला पंचायत सदस्य के पद से चुनाव लड़ना शुरू किया,क्षेत्र क्रमांक 2 से चुनावी मैदान में उतर कर कमला देवी पाटले का प्रतिद्वंदी रहे, और अब कमला देवी पाटले दो बार सांसद बन गई, मया राम चुनाव ही लड़ रहा है, उन्होंने कहा 2004 से हर विधानसभा, लोक सभा और जिला पंचायत के साथ जनपद का चुनाव लड़ते आ रहे है, एक बार अपनी बहु को भी जनपद पंचायत चुनाव में प्रत्याशी बनाया और जीत हासिल हुई।

भूमि हिन है मया राम, सूअर पालन है एक मात्र व्यवसाय

मया राम नट ने बताया कि उसके पास पैसा नहीं है, और कोई पुस्तैनी संपत्ति भी नहीं है, फिर भी लोक तंत्र के मंदिर में पहुंचने की उम्मीद में चुनावी मैदान में कूद जाते है, उनके सामने प्रत्याशी कोई रहे कितना भी खर्च करें मया राम गाँव गाँव जाकर लोगो को डंगचगहा करतब दिखा कर अपना प्राचार भी करते है और लोगो से करतब दिखाने का इनाम भी लेते है,

हर चुनाव में बेचता है सूअर,

मया राम नट ने बताया कि चुनाव के नामांकन फार्म खरीदी के लिए उन्होंने व्यवसाय के लिए पाले सूअर को बेचा और उनसे मिले राशि का नामांकन फार्म ख़रीदा और जमा किया, मया राम के अनुसार उसके पास 100 से अधिक छोटे बड़े सूअर है, जिसमे बड़े की क़ीमत 10 हजार रूपये तक मिल जाती है और छोटे का 3 से 5 हजार रूपये में बिक्री हो जाती है,यही इसकी सम्पत्ति है, जिसको सुख, दुख और चुनाव में बेच कर अपना काम चलता है।

बेटा शिक्षक और बहु को बनाया जनपद सदस्य

मया राम नट घूमन्तु समाज से है, जिसके कारण इनके समाज के बच्चों का जाति प्रमाण पत्र ही नहीं बनता था, समाज के बच्चे स्कूल का द्वार भी नहीं देख पाते थे, इसके बाद भी मया राम नट ने अपने बेटे को पढ़ाने की ठान लिया और अब शिक्षक बन गया है, इसके अलावा मया राम अपने बहु को भी चुनाव के उतार कर जनपद सदस्य बनाया और खुद भी लोक सभा और विधानसभा जैसे मंदिर तक पहुंचने की चाहत रखता हैI

मन में बहुत बदलाव की है चाहत, देश की जनता का होगा भला

मया राम नट जिस चुनाव में उतरते है उसमे दूसरा और पांचवा स्थान में रहते है, उनका मानना है कि लोगो में उनके विचार के प्रति सहानुभूति है, और बदलाव चाहते है, जिसके कारण 15-16 प्रत्याशियों में कई बार पांचवा सस्थान तक मिला, मया राम कहते है सिर्फ दिखावे या कोई प्राचार पाने के लिए चुनाव नहीं डालते उनका भी सोच है, जिसे कुछ योजना का पालन कराने के बाद ना किसानो को परेशानी होंगी ना लोगो के पास खाने की चिंता होंगी, सभी के पास भूमि होगा और सभी खुशहाल होंगे ऐसी सोच और विचार लेकर जनता के बीच वोट मांगने जाते है, साथ ही उनका

जुनून जनसेवा करने वाले नेताओ लिए बड़ी प्रेरणा है और उनका कहना है की पिछड़े वर्ग की सेवा करना एक सपना है।

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