रात्रि 3 बजे भी हजारों भक्त आते हैं
जबलपुर। करीब 15 सौ वर्ष अपनी प्राचीनता और दिव्यता के कारण मां राजराजेश्वरी धूमावती बूढ़ी खेरमाई मंदिर सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ है। मां धूमावती महाशक्ति स्वयं नियंत्रिका हैं। ऋग्वेद में रात्रिसूक्त में इन्हें ‘सुतरा’ कहा गया है। अर्थात ये सुखपूर्वक तारने योग्य हैं। इन्हें अभाव और संकट को दूर करने वाली मां कहा गया है। 10 महाविद्या में से सातवीं शक्ति माँ धूमावती होती है। ये तंत्र की देवी के रूप में जानी जाती है।
प्रबंधक पंडित रोहित दुबे ने बताया कि नवरात्रि पर्व में प्रतिदिन 4 आरती होती है, रात्रि 3 बजे भी हजारों भक्त आते हैं। तंत्र और साधकों की साधना माँ धूमावती की कृपा के बिना पूर्ण नहीं हो सकती है। धूमावती माँ बूढ़ी खेरमाई में प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में भक्त आकर अपनी मनोकामना करते हैं। भगवती के आशीर्वाद से सबकी कामना पूर्ण होती है।
पंचमी तिथि पर संस्कारधानी के अलग-अलग मंदिर, संस्था और सामाजिक क्षेत्रों से महाआरती यहाँ आशीर्वाद लेने आती है। अलग-अलग स्वरूपों में प्रतिदिन माता का श्रृंगार होता है। बूढ़ी खेरमाई की कृपा से यहां का जवारा विसर्जन यात्रा किलोमीटरों से लंबी होती है और अपने आप में शहर का दूसरा दशहरा होता है।
अग्नि झूला विशेष पहचान है, कई हजार बाना भक्त लेकर चलते
कई हजार बाना भक्त लेकर चलते हैं। अग्नि झूला विशेष पहचान है। भक्त जवारा के लिए घंटों इंतज़ार करते है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त देवी के दर्शन करता और अपनी कामना करता है, उसकी सारी इक्षाएँ पूर्ण होती है। अखण्ड कलश और दिव्य जवारों के बीच माँ का स्वरूप दिव्य दिखलाई देता है।
[metaslider id="347522"]