KORBA:भरकम राजस्व देने के बाद भी कोरबा में यात्री सुविधाएं पूरी तरह से बेपटरी

यात्री सुविधाएं हुई बेपटरी, यात्री गाड़ियां चल रही विलंब से

कोरबा,29 मार्च। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर (एसईसीआर) ने बीते साल लगभग सात हजार करोड़ रुपये का राजस्व अकेले कोरबा से अर्जित किया था। इसमें प्रतिवर्ष साल दर साल की बढ़ोत्तरी हो रही है। ऊर्जाधानी से देश के अलग-अलग हिस्सों में कोयले की आपूर्ति की जाती है। कोयला लदान से रेलवे को सर्वाधिक राजस्व मिल रहा है, लेकिन इतना भारी भरकम राजस्व देने के बाद भी कोरबा में यात्री सुविधाएं पूरी तरह से बेपटरी है।लंबे अरसे से यात्रियों गाड़ियों के विलंब से चलने का सिलसिला जारी है। रायपुर और बिलासपुर को जोड़ने वाली सभी ट्रेन रोजाना तीन से चार घंटे की देरी से कोरबा पहुंचती हैं। इससे यात्रियों को खासा परेशान होना पड़ रहा है। बावजूद इसके रेलवे प्रशासन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। रेलवे के अधिकारी हमेशा व्यवस्था बनाने और बेहतर सुविधाएं प्रदान करने की बात कहते हैं। कोरबा को रायपुर से जोड़ने वाली हसदेव एक्सप्रेस अक्सर विलंब से चलती है। रविवार को रायपुर से कोरबा आने वाली हसदेव एक्सप्रेस अक्सर रात 12 बजे के बाद ही कोरबा पहुंचती है। इससे उपनगरीय क्षेत्र के यात्रियों को रेलवे स्टेशन से अपने घर तक जाने के लिए अधिक राशि खर्च करनी पड़ती है। रात के समय आटो चालकों का किराया भी दोगुना हो जाता है। जितनी राशि खर्च कर यात्री रायपुर या बिलासपुर से कोरबा पहुंचते हैं, उतनी ही राशि या कई बार उससे ज्यादा भी उन्हें रेलवे स्टेशन से अपने 10 से 20 किलोमीटर घर तक पहुंचने में सार्वजनिक यात्री पहाड़ परिवहन पर खर्च करना पड़ता है। कुल मिलाकर ट्रेनों की रफ्तार उर्जाधानी में धीमी है, जहां एक ओर लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़़ता है, वहीं दूसरी ओर रेलवे सुविधाओं पर पूरा ध्यान देने की बात कहती है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ साकेत रंजन का कहना है कि माल ढुलाई से मिलने वाला राजस्व और यात्री सुविधाएं, दोनों ही अलग-अलग विषय हैं। दोनों की तुलना नहीं की जानी चाहिए। यात्री सुविधाओं का पूरा ध्यान रखते हैं। व्यवस्था बनाकर ट्रेनों का सही समय पर किया जाए, यही प्रयास रहता है। ट्रेन लेट होने के कई तकनीकी कारण भी होते हैं।