Eid-Ul-Fitr 2024 Date and Timing:चांद दिखाई दिया तो 10 अप्रैल को मनाई जाएगी ईद

कोरबा,28 मार्च। इस्लाम में माह-ए-रमजान का विशेष महत्व है। जिसे मुस्लिम समाज के लोग कठिन व्रत को पूरा करते हुए शालीनता से मनाते हैं। यह महीना 12 मार्च से शुरू हो गया है। इस माह का प्रत्येक रोजा खास होता है, लेकिन इससे हटकर बड़ा रोजा होता है। जो इस बार 6 अप्रैल को शब-ए-बरात के साथ मनाया जाएगा। अगर चांद दिखाई देता है तो ईद 10 अप्रैल को मनाई जाएगी। ईद-उल-फितर की नमाज के साथ ही अमन, भाईचारा का संदेश समाज की ओर से जाएगा।

माह-ए-रमजान की नमाज अदा करने लोग नगर की मस्जिदों में पहुंचने लगे हैं। रमजान के मद्देनजर मस्जिदों का रंगरोगन कर लिया गया है। स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा गया है, ताकि रोजेदारों को वहां किसी तरह की असुविधा न हो। मुस्लिम समाज के वरिष्ठ सदस्य हाजी अखलाक खान ने बताया िक मुस्लिम धर्म संस्कृति में रमजान का पवित्र माह नि:संदेह इबादत, रोजा, नमाजों के इर्द गिर्द ही रहता है। इस माह में लोग एक दूसरे के खासकर कमजोर वर्ग का मदद करने में आगे रहते हैं। उन्होंने बताया कि रोजाना सुबह 4 बजे से नमाज का दौर शुरू होकर देर रात तक बना हुआ है। पांच वक्त की नमाज के साथ-साथ तरावीह की नमाजों में भी पूरा मुस्लिम समाज इस पवित्र माह में अपना समय लगा रहा है। रमजान में कुछ बालिग लोग 10 से लेकर पूरे 30 दिन तक सिर्फ मस्जिदों में ही रहते हैं और वहीं रात दिन इबादत करते हैं। ऐसी इबादत करने का अलग ही आनंद मिलता है।

रोजा रखने का मतलब यतीमों की मदद करना हाजी अखलाक खान ने बताया कि रोजा रखना या भूखे रहने का अर्थ उन गरीबों के भूख से बिलखते बच्चे, यतीम एवं बेहसहारा बच्चों की भूख का अहसास भी है। इसलिए रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोग जो काबिल व सक्षम हैं वे अपने आय का ढाई प्रतिशत जकात (दान) के रूप में गरीबों को देते हैं। रमजान के 21, 23, 25, 27 या 29वीं रात में कोई एक रात सबसे मुकद्दस मानी जाती है।

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