उज्जैन में अब ‘महाकाल सांस्कृतिक वन’ का निर्माण हो रहा है, जो विक्रम विश्वविद्यालय के पास लगभग पांच एकड़ जमीन पर तैयार होगा। यह वन क्षेत्र सनातन धर्म-संस्कृति और भारतीय इतिहास को याद दिलाएगा और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देगा। वन में श्रीकृष्ण वाटिका, श्रीराम वाटिका, अशोक वाटिका, कालिदास वाटिका, सप्त ऋषि वाटिका, नक्षत्र वन, और हर्बल नर्सरी जैसे भाग हैं, जो प्राकृतिक संरक्षण को बढ़ावा देते है।
जब लोग सड़क पर चलते हैं, तो उन्हें भगवान शिव, श्री राम और श्रीकृष्ण के पौधों और उनके महान इतिहास के चित्र दिखाई देते हैं, जो उन्हें आकर्षित करते हैं। यहां एक शानदार प्रवेशद्वार बनाया जा रहा है और द्वार के शिखर पर लगा त्रिशूल लोगों के मन में आध्यात्मिक भावना को जगाता है।
8 करोड़ रुपए का बजट
महाकाल सांस्कृतिक वन की कार्य योजना का बजट 8 करोड़ रुपए है। इसे पिछले साल में स्वीकृति मिली थी। पहले चरण में, काम कराने के लिए 50 लाख रुपये का बजट मंजूर किया गया था। यह काम वन विभाग द्वारा किया जा रहा है और बिना किसी विज्ञापन के काम के शुरू किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, यह सांस्कृतिक वन का आधार गुजरात के सांस्कृतिक वन फार्मूले पर है। इस विभाग ने प्रदेश के अन्य जगहों में भी विभिन्न सांस्कृतिक वनों की योजना बनाई है, जिसमें भोपाल, सतना, और छतरपुर भी शामिल हैं।
विक्रम सरोवर को संवारने की तैयारी
महाकाल सांस्कृतिक वन विक्रम विश्वविद्यालय के खेल मैदान और विक्रम सरोवर के पास है। इसका प्रमुख प्रवेश द्वार सम्राट विक्रमादित्य संकुल भवन से देवास रोड पर स्थित है। नगर निगम ने इस मार्ग को चौड़ा किया है। इसका भूमिपूजन 16 मार्च को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वर्चुअल रूप से किया था।
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