सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनाव आयोग में दो नए चुनाव आयुक्तों सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर रोक लगाने वाली याचिकाएं खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि हम चुनाव आयुक्ति की नियुक्ति पर रोक नहीं लगा सकते हैं। क्योंकि चुनाव से पहले एक्शन से अराजकता पैदा हो सकती है। बेंच ने यह भी कहा कि 2023 का फैसला नहीं कहता कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सिलेक्शन पैनल में ज्यूडीशियरी मेंबर का होना आवश्यक है।
सरकार से मांगा 6 हफ्ते में जवाब
अदालत ने कहा कि हम चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अधिनियम 2023 पर फिलहाल रोक नहीं लगा सकते हैं। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे इस तथ्य को इंगित करते हुए एक अलग आवेदन दायर करें, जिन्होंने बताया कि चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए एक बैठक पहले से आयोजित की गई थी। अदालत ने अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है।
केंद्र सरकार ने 20 मार्च को हलफनामा दायर किया था। सरकार ने कहा था कि जब सिलेक्शन कमेटी में कोई ज्यूडिशियल मेंबर जुड़े, तभी संवैधानिक संस्था स्वतंत्र होगी, यह दलील ही गलत है। इलेक्शन कमीशन एक स्वतंत्र संस्था है।
जानिए याचिका में क्या कहा गया?
याचिका कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर और एनजीओ एशियन डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने दाखिल की थी। जया ठाकुर की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि जब फैसला सुनाया जा चुका है, तो कोई उल्लंघन नहीं हो सकता। उन्होंने तर्क दिया कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम, 2023 में स्पष्ट उल्लंघन हुआ है।
वकील प्रशांत भूषण एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से अदालत में पेश हुए। इस एनजीओ ने सीजेआई को पैनल से बाहर करने को चुनौती दी है। प्रशांत भूषण ने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को राजनीतिक और कार्यकारी हस्तक्षेप से अलग रखा जाना चाहिए। यह सुनवाई इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पूर्व आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू को गुरुवार को ईसी के रूप में नियुक्त किया गया था। इनका चयन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले पैनल द्वारा किया गया।
14 फरवरी को अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति और अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग में दो रिक्तियां उत्पन्न हुई थीं। एनजीओ ने वैधता को चुनौती दी है और मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 की धारा 7 के संचालन पर रोक लगाने की मांग की है, जो सीजेआई को सीईसी और ईसी को चुनने वाले पैनल से बाहर करती है।
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