बिलासपुर,20 मार्च । सरकारी अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों पर की जाने वाली कार्रवाई की जानकारी देने से रोकने वाले आदेश को गलत बताते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को संशोधित नया आदेश जारी करने का निर्देश दिया है।विधानसभा में सन 2015 में तत्कालीन विधायक देवजी भाई पटेल के प्रश्न पर जानकारी दी गई थी कि ईओडब्ल्यू में 45 अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच लंबित है। इस आधार पर चिरमिरी के आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने ईओडब्ल्यू से इन शिकायतों पर की गई कार्रवाइयों की जानकारी मांगी थी। उन्हें सूचना देने से मना कर दिया गया और बताया गया छत्तीसगढ़ सरकार ने 7 नवंबर 2006 को एक अधिसूचना जारी कर विभाग को आरटीआई की जानकारी देने से मुक्त कर दिया है। इस पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आदेश को चुनौती दी थी।
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पूर्व की इस याचिका में हाईकोर्ट ने पाया था कि अधिसूचना में खामियां हैं। कोर्ट ने संशोधित अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने नई अधिसूचना नवंबर 2023 में निकाली थी। मगर ईओडब्ल्यू को आरटीआई से मुक्त करने का आदेश यथावत रखा था। याचिकाकर्ता गुप्ता ने इसे हाई कोर्ट में फिर चुनौती दी और कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 24 की उप धारा 4 के अंतर्गत भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन के मामलों में सूचना देने से मना नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इससे सहमति जताते हुए राज्य सरकार को संशोधित आदेश जारी करने का निर्देश दिया है, जिसमें ईओडब्ल्यू को आरटीआई के दायरे में वापस रखना होगा।
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