SEBI ने 12 मार्च को वेदांता लिमिटेड (पुराना नाम Cairn India) को 77.62 करोड़ रुपये Cairn UK Holdings (CUHL) को चुकाने का आदेश दिया। यह पैसा डिविडेंड पेमेंट में देरी पर इंटरेस्ट का अमाउंट है।
मार्केट रेगुलेटर ने यह पैसा चुकाने के लिए वेदांता लिमिटेड को 45 दिन का समय दिया है। सेबी ने CUHL की तरफ से अप्रैल 2017 में की गई शिकायत पर यह आदेश दिया है। सीयूएचएल ने अपनी शिकायत में कहा था कि वेदांता लिमिटेड के 18 करोड़ शेयर उसके पास है। इस पर 340.65 करोड़ रुपये का डिविडेंग वेदांता ने उसे नहीं दिया है। अब वेदांता ने इस मामले में सिक्योरिटीज अपेलेट ट्राइब्यूनल (SAT) में अपील की है।
वेदांता ने अपील में क्या कहा है?
वेदांता ने SAT में सेबी के 12 मार्च के उस फैसले को भी चैलेंज किया है, जिसमें रेगुलेटर ने कंपनी और उसके 10 पूर्व डायरेक्टर्स केयर्न यूके को डिविडेंड का भुगतान नहीं करने का दोषी पाया। सेबी ने इस पैसे पर वेदातां को इंटरेस्ट का पेमेंट Cairn UK को करने को कहा है, जो 77.62 करोड़ रुपये है। सेबी ने वेदांता के पूर्व डायरेक्टर्स पर भी प्रतिबंध भी लगाया है। इसे भी सैट में चैलेंट किया गया है।
वेदांता की अपील का क्या आधार है?
वेदांता का दावा है कि SEBI ने कंपनी के पूर्व डायरेक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई की है, जो उसके अधिकारक्षेत्र से बाहर है। मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकार दी है। कंपनी की यह भी दलील है कि उसे इंटरेस्ट चुकाने के लिए नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उसने जानबूझकर डिविडेंड का पैसा नहीं रोक है। वेदातां का कहना है कि Cairn UK के खिलाफ इनकम टैक्स की जब्ती पर कनफ्यूजन की वजह से डिविडेंड का पेमेंट नहीं किया जा सका।
वेदांता के खिलाफ क्या आरोप हैं?
यह विवाद 666 करोड़ रुपये के डिविडेंड से जुड़ा है। यह डिविडेंड 2014 से 2017 की अवधि है, जिसका भुगतान वेदांता को CUHL को करना था। तब वेदांता का नाम Cairn India था। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने जनवरी 2024 में CUHL के खिलाफ प्रोविजनल अटैचमेंट का एक आदेश दिया था। इसमें वेदांता में CUHL के सभी हक को फ्रीज कर दिया गया था। इस आदेश के बाद वेदांता ने CUHL को डिविडेंड का पेमेंट करना बंद कर दिया। टैक्स
अटैचमेंट मार्च 2026 में हटा लिया गया।
2016 में CUHL ने वेंदाता को रोके गए डिविडेंट का पेमेंट करने को कहा। वेदांता ने इस बारे में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की राय मांगी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा कि अटैचमेंट हटा लिया गया है और डिविडेंड का मामला एक शेयरहोल्डल का मसला है, जिसका समाधान वेदांता और केयर्न यूके को करना होगा। लेकिन, वेदांता ने डिविडेंड का पेमेंट नहीं किया।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने जून 2017 में एक रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स डिमांड मामले में केयर्न इंडिया के खिलाफ 10,395 करोड़ रुपये का अटैचमेंट ऑर्डर जारी किया था। उसके बाद वेदांता ने 666 करोड़ रुपये का नहीं चुकाया गया डिविडेंड टैक्स डिपार्टमेंट को दे दिया था।
Cairn UK ने वेदांता के इस कदम के खिलाफ SEBI में शिकायत की। उसने शिकायत में कहा कि वेदांता ने कंपनीज एक्ट का उल्लंघन किया है, जिसमें कहा गया है कि सभी शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड का पेमेंट समय पर किया जाना चाहिए।
SEBI ने वेदांता के पूर्व डायरेक्टर्स पर क्यों कार्रवाई की?
सेबी के आदेश में ऐसे 10 डायरेक्टर्स के नाम शामिल हैं, जो 2016-17 के दौरान वेदांता के बोर्ड में शामिल थे। सभी डायरेक्टर्स को एक से दो महीनों तक कैपिटल मार्केट्स में किसी तरह का ट्रांजेक्शन करने से रोक दिया गया है। इनमें नवीन अग्रवाल, तरुण जैन, थॉमस अल्बेनेज और जीआर अरुण कुमार के नाम शामिल हैं।
सेबी का मानना है कि कंपनीज एक्ट के तहत अगर डायेरक्टर की जानकारी में कंपनी किसी नियम का उल्लंघन करती है तो इसके लिए डायरेक्टर्स जिम्मेदार होंगे। वेदांता के डिविडेंड का पेमेंट नहीं करने पर Cairn UK ने वेदांता के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को लेटर लिखा था। इसमें उन्हें डिविडेंड पेमेंट की प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया था। सेबी ने यह पाया कि डायरेक्टर्स को मामले की जानकारी थी। फिर भी उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया।
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