बिलासपुर,18 मार्च । होली पर्व मनाने की तैयारी शहर में चल रही है। धीरे-धीरे होलियाना मूड में भी शहरवासी आने लगे है। वैसे भी होली के पर्व में रंग-गुलाल के अलावा नगाड़े का विशेष महत्व होता है। नगाड़े की धुन पर फाग गीत के साथ होली का खुमार बढ़ता है। नगाड़े की धुन पर लोग फाग गाते हुए होली का आनंद लेते है। नगाड़े के साथ उत्सव में चार-चांद लगता है। यहीं वजह है कि बाजार में नगाड़े की दुकान सजने लगी है। बाजार में इसकी पूछ परख भी होने लगी है। अरपा नदी के रपटा पुल के पास चौपाटी में नगाड़ा बेचने वाले अपनी दुकान सजा रहे है। यहां पर वर्षों से नगाड़े की दुकान लगती है।
यहां पर खैरागढ़ व डोंगरगढ़ से नगाड़ा बेचने वाले पहुंचते है। होली पर्व को अब दो सप्ताह शेष है। ऐसे में होली पर्व की तैयारी चल रही है। रंग-गुलाल की दुकानें लगना शुरू हो चुका है। इसी बीच शहर में नगाड़ों ने भी दस्तक दे दी है। शनिचरी रपटा के पास 100 रूपये से लेकर 2000 रूपये तक बड़े नगाड़े बिक रहे है साथ ही नगाड़े की आवाज शहर की फिजा को होलियाना मुड में ला रहे है। इसी वजह से नगाड़ों की बिक्री भी शुरू हो चुकी है। खैरागढ़ से नगाड़ा बेचने आए चैन सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा डिमांड खैरागढ़ के नगाड़े रहते है, होली के दौरान होने वाले फाग में नगाड़ा मुख्य वाद्य यंत्र होता है, ऐसे में नगाड़ों के बिना फाग की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसी तरह होलिका के पास बैठकर नगाड़ा बजाने की प्रथा है, यह प्रथा अभी भी जीवित है ऐसे में जैसे-जैसे होली पर्व नजदीक आते जाएगा, वैसे-वैसे ही इनकी बिक्री भी जोर पकड़ने लगेगी।
पिछले वर्षो के अपेक्षा दाम में हुई है बढ़ोतरी
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नगाड़ा बजाने के लिए जानवर की खाल का उपयोग किया जाता है। जितना अच्छा नगाड़ा रहता है, उसकी आवाज उतनी दूर तक जाती है। वही अच्छे क्वालिटी के नगाड़े के लिए अच्छे चमड़े का उपयोग किया जाता है। इसी वजह से नगाड़ों के दाम में भी पांच से दस प्रतिशत की वृद्वि दर्ज की गई है। छोटे नगाड़े 80 से 100 रूपये तक में मिल जाते थे, लेकिन इस बार छोटे नगाड़े 100 से 120 रूपये तक में मिल रहे है। इससे कुछ बड़े नगाड़े 300 से 400 तक में, मध्यम आकार के नगाड़े 500 से 1000 रूपये तक में और बड़े नगाड़े 1500 से 2000 रूपये तक में बाजार में उपलब्ध है।
हाथ से बनाए जाते है नगाड़े
नगाड़ा बेचने वाले चैन सिंह ने बताया कि नगाड़े मशीन से नहीं बनता है। हर नगाड़े को हाथ से बनाया जाता है, जिसमे काफी मेहनत लगता है। होली पर्व के तीन से चार महिने पहले से पूरा परिवार नगाड़ा बनाने के काम में जूट जाता है। बड़ी मेहनत से एक-एक नगाड़े तैयार होते है।
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