कोरबा 12 मार्च । शिक्षा विभाग में गुगलीबाज अफसरों की कमी नहीं है। ऐसे अफसरों को ना तो खुद के अधिकार क्षेत्र का पता है और ना ही शिक्षकीय गरिमा का अहसास…। इन्ही अफसरों में एक नाम कोरबा के सहायक संचालक केआर डहरिया का है, जिनके खिलाफ शिकायतों की इतनी लंबी लिस्ट है कि गिनते-गिनते अंगुलियां थक जायेगी। शिक्षक संगठन से लेकर राजनीतिक दलों की तरफ से भी कई शिकायतें की गयी है, लेकिन इन पर कोई असर नहीं पड़ा है। इसी बीच सहायक संचालक केआर डहरिया का एक और कारनामा सामने आया है। DEO के प्रभार में रहते हुए केआर डहरिया ने बिना अनुमति त्यागपत्र दे चुके दो शिक्षकों की पुन: नियुक्ति कर दी।
इधर सहायक संचालक का कारनामा उजागर होने के बाद कलेक्टर ने आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। दरअसल कोरबा जिले के दो सहायक शिक्षक नवीन कुमार करकेट्टा, अर्जुन सिंह ने बिना अनुमति ही निम्न से उच्च पद के लिए त्यागपत्र दे दिया था। नियम के मुताबिक जिला शिक्षा अधिकारी को ऐसे शिक्षकों की ज्वाइनिंग के लिए सहायक संचालक का अभिमत लेना जरूरी होता है। सहायक संचालक अपना अपनी अभिमत देने से पहले शासन स्तर पर मार्गदर्शन लेते हैं। लेकिन प्रभारी डीईओ (मूल पद व्याख्याता) ने डीपीआई और JD के अधिकार को अधिक्रमित करते हुए खुद ही दोनों तकनीकी त्यागपत्र को स्वीकार करते हुए नियुक्ति की अनुमति दे दी।
इधर कलेक्टर अजीत बसंत तक जब इस मामले में शिकायत पहुंची, तो उन्होंने इस मामले में तुरंत एक्शन लेते हुए प्रभारी DEO केआर डहरिया के आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया। चर्चा है कि इस मामले में पैसे का भी बड़ा खेल हुआ है, हालांकि सहायक संचालक डहरिया ने पैसे के लेनदेन से इंकार किया है। जब सहायक संचालक केआर डहरिया से बात की, तो उन्होंने कहा कि…
“कोरबा के जो जिला शिक्षा अधिकारी सस्पेंड हो गये हैं, दफ्तर का जरूरी काम नहीं रूके, इसलिए मैं छोटा-मोटा काम कर देता हूं, कल मेरे पास बाबू ये तकनीकी त्यागपत्र वाली फाइल लेकर आया था, तो मैंने उससे शासन स्तर पर जानकारी लेने की बात कही थी, लेकिन बाद में लंच के वक्त में वो मेरे पास फिर फाइल लेकर आया, तो हड़बड़ी में मैंने हस्ताक्षर कर दिया। कलेक्टर साहब की जानकारी में ये बातें आयी, तो उन्होंने आदेश को निरस्त करने को कहा है…। गलती हुई है, क्योंकि इसको शासन स्तर पर भेजना था, अभी हमलोग फाइल तैयार कर रहे हैं, अपर कलेक्टर को डीईओ का प्रभार दिया गया है, उनके भी संज्ञान में बातें लायेंगे”
जिला शिक्षा अधिकारी गोवर्धन प्रसाद भारद्वाज के निलंबन के बाद कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर प्रदीप साहू को प्रशासनिक व्यवस्था के तहत जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार दिया था। इस बार तो के आर डहरिया कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर जैसे अधिकारियों को बाईपास करके ऐसा कृत्य कर दिए जिसकी वजह से कोरबा जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग दोनो ही शर्मसार हो सकते हैं। मूल पद व्याख्याता के आर डहरिया ने स्वयं को जिला शिक्षा अधिकारी घोषित कर एक ऐसा आदेश किया है जिसमे पूर्व में त्यागपत्र दिए हुए एक शिक्षक को दुबारा कार्यभार ग्रहण की बात लिखी हुई है। विषय यह है कि इस तरह का तकनीकी त्यागपत्र में कार्यभार पुनः ग्रहण करने का आदेश वही अधिकारी निकाल सकता है जिसके पास डीडीओ पावर होता है वो भी अपने उच्च अधिकारियों की सहमती लेकर ही वह आदेश कर सकता है। परंतु के आर डहरिया ने बिना किसी से सहमति लिए ऐसा कृत्य किया है।
कैसे अफसर? जिन्हें अधिकार का ही पता नहीं
सहायक संचालक का अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश जारी करना…और वो भी एक नहीं दो-दो …कई तरह के संदेह को पैदा करता है। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि किसी अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र का ही पता ना हो, ये कैसे संभव है? कई लोगों इसमें पैसे के लेनेदेन की बात भी कह रहे हैं, हालांकि खुद सहायक संचालक इससे इनकार कर रहे हैं। लेकिन ये कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई मौके आये हैं, जब सहायक संचालक डहरिया की कार्यशैली सवालों में रही है। दुर्व्यवहार से लेकर कई तरह के निर्देशों को लेकर शिक्षक संगठन इनकी शिकायत भी कर चुके हैं।
सहायक संचालक केआर डहरिया के साथ विवाद
जिले के शिक्षा अधिकारी गोवर्धन भारद्वाज के निलंबन के पश्चात इसी विभाग में सहायक संचालक के रूप में संलग्न के आर डहरिया जिनका मूल पद व्याख्याता का है, जो स्वयं को प्रभारी प्राचार्य जैसा पद बताकर शासन स्तर से सहायक संचालक का आदेश करवा विवादो के साथ यथावत स्थापित है। पिछले वर्ष हुए सहायक शिक्षक से प्रधान पाठक के पदांकन में इन्होंने जो मनचाहे जगह पर पोस्टिंग की पर्चियां सील मुहर और हस्ताक्षर के साथ बांटी थी, जिस पर उच्च न्यायालय ने लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र लिखकर अवगत कराया था। जिस पर लोक शिक्षण संचालनालय ने डहरिया की दो वेतन वृद्धि तक रोकने का आदेश किया था।कुछ दिन पूर्व के आर डहरिया ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में एक तानाशाही आदेश निकलकर सभी को प्रभावित किया, जिस पर लिपिकों ने नाराजगी जाहिर करते हुए, कलेक्टर एवं लोक शिक्षण संचलालय तक इसकी शिकायत कर दी थी। जिसकी जांच हेतु कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ को जांच अधिकारी बनाकर जांच शुरू कर दी है,परंतु डहरिया अपने कृत्यों से अब भी बाज नही आ रहे।
[metaslider id="347522"]